Swara yoga healing | स्वर योग से रोग निवारण
शरीर में टूटन के साथ दर्द प्रारम्भ होता है, जिससे हमे बुखार आने का अनुमान हो जाता है। जिस प्रकार छीको का आना जुकाम होने का परिचायक होता है। ऐसे लक्षणों के प्रगट होने पर रोग विशेष के…
शरीर में टूटन के साथ दर्द प्रारम्भ होता है, जिससे हमे बुखार आने का अनुमान हो जाता है। जिस प्रकार छीको का आना जुकाम होने का परिचायक होता है। ऐसे लक्षणों के प्रगट होने पर रोग विशेष के…
स्वर विज्ञान (Swara shastra vigyan) के अनुसार स्वरोदय नाक के छिद्र से ग्रहण किया जाने वाला श्वास है। जो वायु के रूप में होता है। श्वास ही जीव का प्राण है, और इसी श्वास को स्वर कहा जाता…
योग के आठों अंगों का अपना विशिष्ट महत्त्व है, और वे साधक को अपने से अगले अंग के सुयोग्य बनाते हैं। यम और नियम तो भूमिकात्मक अंग हैं, किन्तु शेष छ: अंग तो योग से प्रत्यक्ष और अविभिन्न…
योग में सभी के लिए प्राणायाम ( Pranayama ) ही सबसे अधिक कौतुहल का विषय होता है, और हो भी क्यों न सभी योगिक क्रियाओ में इसका एक विशेष स्थान है। प्राणायाम के नित्य अभ्यास को पाप रूपी…
योग ( yoga ) क्या है ? मन की वृत्तियों पर काबू पाना ही योग है। योग केवल आसन ही नहीं, आहार, व्यव्हार, अचार विचार के तालमेल से जीवन को सुन्दर बनाने का नाम ही योग है। वर्तमान…
काल शब्द का दूसरा अर्थ मृत्यु होता है। इसी कारण कालसर्प योग के तहत जन्म लेने वाला व्यक्ति लगभग जीवन भर मृत्यु तुल्य दुःख और कष्ट का अनुभव करता है। काल सर्प यंत्र ( Kaal Sarp Yantra )…
मानव जीवन में यौन भावना ( Sex ) और संबंधो का अत्यंत महत्व है। जिस प्रकार हमें भूख और प्यास लगती है। उसी प्रकार हमारी प्रमुख शारीरिक आवश्यकताओं में से एक आवश्यकता हमारी यौन इच्छाओं की संतुष्टि भी…
हमारे शरीर में अनाहत चक्र (Anahata chakra ) 7 चक्रों में से सबसे प्रभावशाली ऊर्जा केंद्र होता होता है। शुद्ध प्रेम के माध्यम से देवत्व की खोज इस चौथे चक्र को प्रेरित करती है। स्वतंत्र रूप से प्राप्त करने…
दूसरा चक्र, जिसे स्वाधिष्ठान चक्र ( Svadhisthana Chakra) कहा जाता है, नारंगी रंग से जुड़ा हुआ है, और निचले पेट और आंतरिक श्रोणि में स्थित होता है। "स्वाधिष्ठान" शब्द अपने स्वयं के निवास का अनुवाद करता है। प्राचीन…
हमारे शरीर में पाँचवाँ चक्र विशुद्ध चक्र ( Vishuddha Chakra ) होता है। यह हमारे शरीर में गले के शीर्ष पर और हमारे स्वर यंत्र के केंद्र में स्थित होता है। इसी कारण इसको कंठ चक्र भी कहा…