नवरात्र की एक पहचान गरबा (Garba) के रूप में भी होती है। साल भर लोग इस नवरात्रि का इंतज़ार करते है, क्योंकि इस समय गरबा का आयोजन किया जाता है।
जिसमे नृत्य के द्वारा देवी अम्बा का आव्हान किया जाता है। दोस्तों भारतीय सभ्यता में नवरात्री का एक खास स्थान है। इसको बहुत ही हर्षोउल्लास के साथ एक सामूहिक उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
इस नृत्य का सीधा सीधा नाता भारत के एक बड़े और समृद्ध व्यापारिक प्रदेश गुजरात से है। इस नृत्य की शुरुआत गुजरात से ही हुई है। गुजरात में नवरात्री का मतलब नृत्य के द्वारा देवी को प्रसन्न कर संसार में सुख समृद्धि का आव्हान करना होता है।
तो चलिए आज हम भारतीय समाज के एक बहुत बड़े उत्सव गरबा के विषय में कुछ जानी अनजानी बातों को जानने का प्रयास करेंगे।
Table of Contents
History of Garba | इतिहास
दोस्तों आज के भारतीय उत्सवों में गरबा का एक महत्वपूर्ण स्थान है। हिन्दू समाज में नवरात्री का जैसे एक अलग ही महत्व है। वैसे ही यह नवरात्री का एक पर्यावाची बन चुका है।
तो आज हम नृत्य करने के पीछे कारण और नवरात्री ( Navratri ) के मेले के बारे में जानेंगे। यह नृत्य पारम्परिक रूप से गुजरात में किया जाता है।
यह नृत्य कला है, जिसको नवरात्री के दौरान किया जाता है। इसके बारे में गुजरात में एक अति प्रचलित दन्त कथा है, कि प्राचीन काल में जब देवताओं पर दानवों का अत्याचार बढ़ गया।
तो सभी देवताओं ने मिलकर शक्ति के देवी स्वरूप का आव्हान किया। तब शक्ति ने देवी दुर्गा के रूप में जन्म या अवतरण लिया। जिसको गुजरात में देवी अम्बा के नाम से जाना या पुकारा जाता है।
देवी ने दुर्गा या अम्बा के रूप में महिषासुर नामक राक्षस का वध किया और देवताओं तथा संसार को आसुरी शक्तियों से बचाया।
तभी से गुजरात में देवी अम्बा को शक्ति के स्वरुप में पूजा और देवी अम्बा को प्रसन्न करने के लिए नवरात्री के दौरान यह नृत्य किया जाने लगा।
Meaning | अर्थ
गरबा के शाब्दिक अर्थ के पीछे भी एक तथ्य है। ये शब्द दो शब्दों गर्भ और दीप से मिलकर बना है।
देवी की उपासना के लिए एक मिटटी के मटके में छिद्र करके उसके अंदर एक दीप प्रज्जवलित करके रखा जाता है और एक चांदी का सिक्का और सुपारी भी राखी जाती है इस मटके को गर्भ के रूप में माना जाता है ।
दीपक को एक शिशु के रूप में या एक नयी उत्पत्ति के रूप माना जाता है। इसका मतलब ये होता है की जिस प्रकार एक स्त्री के गर्भ में एक शिशु या नव जीवन की स्थापना होती है।
उसके द्वारा सृष्टि को एक नया रूप मिलता है। उसी प्रकार ये गर्भ दीप होता है, और उसके प्रकाश से सम्पूर्ण संसार को एक नया उजियाला या मार्गदर्शन प्राप्त होता है। गरबा शब्द इसी गर्भ दीप का अपभ्रँश है।
Steps | करने का तरीका
इसमें एक गोलाकार रूप में सभी लोग मिलकर नृत्ये करते है। जिसमे अपने हाथों और कदमो के द्वारा नृत्ये भाव प्रदर्शित किये जाते है।
पहले समय में गरबा करने का सवरूप कुछ अलग हुआ करता था। नवरात्री के पहले दिन शक्ति या देवी के आव्हान के लिए एक मिटटी के मटके में छिद्र करके उसको सजाया जाता था।
उसके बाद उसमे एक दीपक प्रज्जवलित किया जाता था। उसमे एक चांदी का सिक्का तथा सुपारी रख उस मटके को स्थापित किया जाता था।
सभी स्त्री पुरुष उस मटके के चारो ओर घेरा बना कर गोल गोल घूम कर नृत्ये करते और देवी का आव्हान करते थे।
इस नृत्ये में हाथों और कदमो का बहुत ही सुन्दर उपयोग किया जाता है, एवं नृत्ये भंगिमाएं बनायीं जाती है। इस दौरान देवी के गीतों को भी गया बजाया जाता था।
परन्तु समय साथ गरबा का स्वरुप भी बहुत बदल गया है, आजकल बहुत बड़े बड़े गरबा पंडालों का आयोजन किया जाता है।
इसमें देवी स्वरुप को एक जगह स्थापित किया जाता है एवं वही पर उनके बीच गर्भ दीप के स्वरुप में एक बड़े दीपक को जला कर रखा जाता है।
लोग अलग अलग समूहों में गोलाकार रूप में गरबा करते है।
अलग अलग देवी के गीतों पर सुन्दर वस्त्र और आभूषणों से सुसज्जित होकर नृत्ये करते है। आजकल तो फ़िल्मी गानो पर भी गरबा किया जाता है।
Types of Garba | प्रकार
नृत्य करने के दौरान एक बहुत ही प्रमुख रूप से किया जाने वाला नृत्ये मुद्रा तीन ताली होती है। इस तीन ताली के पीछे भी बहुत प्रचलित कथा है।
कहा जाता है, कि संसार की उत्पति ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनो के द्वारा की गयी है। गरबा खेलने के दौरान तीन ताली बजाकर ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनो की शक्तियों का देवी अम्बा के स्वरुप में आव्हान किया जाता है।
इसी कारण तीन ताली का इस नृत्य शैली में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है।
Garba and Dandia | गरबा और डांडिया का फर्क
गरबा और डांडिया को अक्सर एक साथ ही मिलाकर देखा जाता है। लेकिन पूर्व में नृत्य के दौरान डांडिया नहीं किया जाता था।परन्तु समय के साथ इसका का स्वरुप बदला और डांडिया भी गरबा में शामिल हो गया।
वास्तविक रूप में डांडिया एक अलग नृत्ये कला है, जो की भगवान् कृष्ण की नगरी मथुरा में भगवान् कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है।
डांडिया और कृष्ण का बहुत गहरा साथ है। आप सभी जानते हो की भगवांन कृष्ण अपनी गोपियों के साथ रासलीला किया करते थे।
उसी रासलीला के दौरान जो नृत्ये किया जाता था। उसमे रंग बिरंगी डंडियों का प्रयोग किया जाता था। जिसके कारण उसको डांडिया कहा जाता है।
आप सभी जानते हो की भगवन की राजधानी द्वारिका गुजरात में ही थी। जिसके कारण उनका असर गुजरात के समाज पर बहुत ज़्यादा है।
बल्कि भगवन कृष्ण ही गुजरातीं समाज के कुल देवता है, उनकी पूजा अर्चना वहां अनिवार्य है।
गुजरात में भगवन कृष्ण को ठाकुर जी के नाम से सम्बोधित किया जाता है। इसी कारण डांडिया और गरबा एक दुसरे के पूरक है।
Modern Days Garba | वर्तमान स्वरुप
वर्तमान में गरबा का स्वरुप बहुत बदल गया है। आज कल नवरात्री के दौरान बहुत बड़े बड़े आयोजन किये जाते है।
गरबा पर लिखे गीतों की एल्बम बनायीं जाती है। जिसके गीतों को नृत्य के समय प्रसिद्ध गीतकार गाते है। नृत्य की क्लासेस काफी पहले शुरू हो जाती है एवं डिज़ाइनर ड्रेस भी सिलाई जाती है।
भारत के हर प्रान्त में ही नहीं विदेशों में भी बड़े स्वरुप में आयोजन किये जाते है। समाज का हर वर्ग इसमें भाग लेता है। यही नहीं भारतीय अर्थव्यवस्था में भी इन् आयोजनों द्वारा बहुत योगदान मिलता है।
नौ दिन तक चलने वाले इस आयोजन के दौरान समाज के हर वर्ग को आर्थिक फायदा होता है। बड़े बड़े पंडालों को कई छोटी बड़ी कम्पनिया प्रायोजित करती है।
जिनसे उनके प्रोडक्ट्स को फायदा होता है। वो आसानी से समाज के हर वर्ग को अपने प्रोडक्ट्स के बारे में बता पाते है।
फ़ूड स्टाल लगाने वालों को इन् पंडालों में आने वाले लोगो से फायदा होता है। इसी प्रकार नौ दिन बाजारों की रौनक बढ़ जाती है।
इसी समय भारत के एक अन्य राज्य बंगाल में दुर्गा पूजा ( durga puja ) की धूम होती है। जिसकी छठा भी देखते ही बनती है।
तो आप कह सकते हो, कि गरबा व्यापार को भी फायदा पहुंचता है। ये उत्सव खुशहाली का प्रतीक भी है। तो दोस्तों आप सब भी आने वाली नवरात्री में गरबा का आनंद लीजियेगा।
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How can I learn Garba?
नवरात्री पर गरबा का आयोजन करने वाले सामाजिक संघटन नवरात्र आने से पहले गरबा सीखने के लिए क्लास लेते है। कई डांस ग्रुप भी जो इस नृत्य में हिस्सा लेते है ट्रेनिंग देते है। इनसे संपर्क कर आप सीखने की शुरुआत कर सकते है।
Which city is famous for Garba?
वर्तमान समय में गुजरात राज्य की राजधानी अहमदाबाद में भारत के सबसे भव्य पारम्परिक उत्सव का आयोजन होता है। आधुनिक स्वरुप को मुंबई में देखा जा सकता है।
Who invented Garba?
यह गुजरात का पारम्परिक नृत्य है पर इसका वर्तमान स्वरुप में आरम्भ वर्ष 1950 से 1960 के मध्य मन जाता है।
What is Garba in Navratri?
पारम्परिक रूप से गुजरात की नृत्य शैली है जिसे नवरात्री में देवी अम्बा की आराधना की जाती है। इसका का अर्थ है गर्भ जो शक्ति के पैदा होने का स्थान है। इस नृत्य में गर्भ की प्रतीक मटकी में दीया जलाकर देवी अम्भा के साथ केंद्र में रखा जाता है जिसके चारो ओर परिक्रमा करते हुए ये नृत्य किया जाता है।
Is Dandiya and Garba same?
यधपि डांडिए अवं गरबा नृत्य दोनों ही नवरात्री के अवसर पर किया जाता है परन्तु दोनों नृत्यों में अंतर है। गरबा देवी आरती के पहले किया जाता है और डंडिआ आरती के बाद होता है।
कहा जाता है कि डांडिए का प्रारंभ भगवान श्री कृष्ण से हुआ है वह गोपियों के साथ यह नृत्य किया करते थे। कालान्तर में यह गरबा नृत्य में समाहित हो गया।
जहा गरबे में हांथो से ताली के क्रम में नृत्य किया जाता है वही dandia में दो डंडियों का प्रयोग होता है।