भारतीय भोजन (Indian food) प्राचीन समय से ही सभी को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है। यहाँ के व्यंजनों का स्वाद एवं सुगंध हमेशा से लोगों के मुँह में पानी लाता रहा है।
भारतीय खाना न केवल स्वाद में बल्कि खाना पकाने के तरीकों में भी बाकी दुनिया से अलग है। यह विभिन्न संस्कृतियों तथा युगों के एक आदर्श मिश्रण को दर्शाता है।
जिस प्रकार से भारतीय संस्कृति पर अलग-अलग सभ्यताओं एवं संस्कृतियों का प्रभाव देखने को मिलता है, उसी प्रकार भारतीय व्यंजन भी इससे अछूते नहीं है।
भारतीय भोजन ने हमेशा से इस देश की संस्कृति के विस्तार एवं समृद्धि में अपना अहम योगदान दिया है। यहाँ बनने वाले स्वादिष्ट व्यंजनों को लेकर दूसरे देशों में रहने वाले लोगो के मन में उत्सुकता बनी रहती है।
भारत के व्यंजन अपने स्वाद विशेषकर तीखेपन के लिए बेहतर जाने जाते रहे हैं। पूरे भारत में चाहे उत्तर भारत हो या दक्षिण भारत, खाने में मसालों का भरपूर इस्तेमाल किया जाता है।
यहाँ की मिट्टी, जलवायु, संस्कृति, जातीय समूहों एवं व्यवसायों में विविधता को देखते हुए, यह व्यंजन अन्य देशों के भोजन से काफी भिन्न होते हैं।
इनमे सामान्यतः स्थानीय रूप से उपलब्ध मसालों, जड़ी-बूटियों, सब्जियों और फलों का उपयोग किया जाता हैं। भले ही यहाँ के भोजन में मसलों की तीव्रता देखने को मिलती हो।
लेकिन किसी को यह नहीं भूलना चाहिए, कि भारतीय व्यंजनों में इस्तेमाल होने वाले हर एक मसाले में कुछ न कुछ पोषण के साथ-साथ औषधीय गुण भी समाहित होते हैं।
भारतीय व्यंजनों की श्रेणी में भारतीय उपमहाद्वीप के मूल निवासी के साथ-साथ कई प्रकार के क्षेत्रीय एवं पारंपरिक व्यंजन शामिल हैं।
Table of Contents
History of Indian food | भारतीय व्यंजन एवं उनका इतिहास
समृद्ध भारतीय व्यंजन श्रृंखला के बनने के पीछे इसका इतिहास बहुत मायने रखता है। लम्बे समय तक चले प्रयासों के कारण ही यहाँ के पकवान आज इतनी मशहूर हो पाये हैं।
भारतीय व्यंजनों का इतिहास 5000 साल से भी अधिक पुराना है। प्राचीन समय से भारत की भूमि ने यहाँ आने वाले प्रत्येक मेहमान या अप्रवासी का स्वागत खुले मन से किया है।
यही कारण है, कि उन लोगों के साथ आने वाली हर चीज़ का प्रभाव आप भारतीय संस्कृति पर देख सकते है, जिसका सबसे बड़ा सजीव उदाहरण हमें यहाँ के खाने पर देखने को मिलता है।
भारतीय व्यंजनों का इतिहास हमें वेद, पुराणों सहित अन्य ऐतिहासिक ग्रंथों द्वारा प्राप्त होता है। जैसे-जैसे आप भारतीय इतिहास को जानेंगे आपको स्वयं ही यहाँ के खाने के विषय में जानकारी प्राप्त हो जाएगी।
तत्कालीन भारतीय खान-पान लम्बे समय से चले आ रहे लोगों के आवागमन से निरंतर अपने स्वरूप को बदलता आ रहा है, जिसमें अभी भी बदलाव हो रहे हैं।
भारतीय समाज के इतिहास, विकास, भाषाओ, विविधताओं और उससे विभिन्न कलाओ पर पड़ने वाले प्रभाव को विस्तृत रूप से जानने के लिए भारतीय संस्कृति (Indian culture) पर जाये।
Religious influence on Indian food | भारतीय भोजन पर धार्मिक प्रभाव
भारत के लोगों के खानपान पर आप यहाँ निवास करने वाले लोगों के धार्मिक मान्यताओं का प्रभाव बहुत आसानी से देख सकते हैं।
भारत में हर धर्म अपनी अलग-अलग वर्जनाओं एवं वरीयताओं के साथ भोजन ग्रहण करने में विश्वास करता है। उसी के आधार पर उनकी खानपान की शैली निर्धारित होती है।
जैसे कि हिंदू गौ मांस का सेवन नहीं करते हैं, मुसलमान सूअर का मांस नहीं खाते हैं, लेकिन गौ मांस का सेवन करते हैं। वहीँ जैन समुदाय के लोग शाहकारी होते हुये भी जड़ वाली या भूमिगत सब्जियां नहीं खाते है।
भारतीय दर्शनशास्त्र (Indian philosophy) और इसके प्रभाव से जन्मे भारतीय धर्मो ( Dharma ) को जाने।
Hindu Food | भारतीय खानपान एवं हिन्दू धर्म
खानपान पर हिन्दू धर्म का बहुत गहरा प्रभाव है। हिंदू धर्म को मानने वाले ज्यादातर शाकाहारी होते हैं, इसी बात ने उनके भोजन और खाने की आदतों को प्रभावित किया है।
वे विभिन्न शाकाहारी व्यंजन बनाने के लिए विभिन्न प्रकार की सब्जियों जैसे- टमाटर, फूलगोभी, पालक, हरी बीन्स तथा आलू आदि का उपयोग करते हैं।
ब्राह्मण हिंदू धर्म में सबसे ऊंची जातियों में से एक हैं। वे पूर्ण रूप से शाकाहारी भोजन करते हैं, तथा मांस, मछली या अंडे का सेवन नहीं करते हैं। हालांकि, पूर्वी तटीय क्षेत्रों के ब्राह्मण मांसाहारी भोजन करते हैं।
Muslim Food | भारतीय खानपान एवं मुस्लिम धर्म
भारत में हमेशा से मुस्लिम लोगों का व्यापारियों एवं आक्रमणकारियों के रूप में आवागमन होता रहा है। मुग़ल काल से मुस्लिम धर्म भारत के प्रमुख धर्मों में से एक हो गया था।
यहाँ आने वाले मुस्लिमों के साथ उनकी खानपान की शैली का भी प्रवेश हुआ। वैसे तो भारत में प्राचीन काल से मांसाहारी भोजन के प्रमाण मिलते हैं, किन्तु मुस्लिम धर्म के आगमन से इसका प्रयोग बढ़ गया।
इनके द्वारा भोज्य पदार्थों में मसालों के साथ बेहतरीन प्रयोग किये गए। जिसने भारतीय भोजन में स्वाद एवं सुगंध को अत्यंत बढ़ा दिया।
मुस्लिम संस्कृति ने भारतीय पाक संस्कृति में भव्य मुगलई व्यंजन पेश किए हैं। भारतीय भोजन पर मुस्लिम प्रभाव के कारण, इन व्यंजनों को हमेशा बादाम, पिस्ता काजू और किशमिश के साथ परोसा जाता है।
मुग़लों ने भारत में बिरयानी, फिरनी जैसी स्वादिष्ट डिशेस को शामिल किया। वहीं वो अपने साथ खाना पकाने की प्रसिद्ध तंदूर शैली को भी लेकर आये थे ।
मुस्लिम धर्म प्रभाव के कारण ही भारतीय मांसाहारी भोजन को विशेष स्थान प्राप्त हुआ है। समय के साथ इसमें विस्तार एवं प्रयोग होते रहे है।
Jain Food | भारतीय खानपान एवं जैन धर्म
हिंदू एवं मुस्लिम धर्म के अलावा, जैन धर्म का भारतीय भोजन पर भी धार्मिक प्रभाव बहुत है। भारतीय व्यंजनों पर जैन प्रभाव ने शाकाहारी भोजन विशेष रूप से सात्विक भोजन को लोकप्रिय बना दिया।
जैन धर्मावलम्बी अहिंसा परमो धर्म के सिद्धांत में विश्वास करते है, इस कारण वे मांसाहारी भोजन के सेवन के सख्त खिलाफ होते हैं।
इसी कारण जैन लोग ऐसा भोजन खाना पसंद करते है, जो किसी भी प्रकार से किसी जीव को नुकसान न पहुंचाए। इसलिए वह जड़ वाली सब्ज़ियों, शराब एवं शहद इत्यादि का सेवन नहीं करते।
मूल रूप से उनकी भोजन अवधारणा सुबह सूर्योदय के बाद और शाम को सूर्यास्त से पहले खाने पर आधारित है।
वे कुछ खास दिनों में उपवास रखने और गरीबों को भोजन कराने में विश्वास रखते हैं। वे केवल वही सब्जियां और फल खाते हैं, जो पेड़ पर पकते हैं।
जैन व्यंजन ग्रहण करने पर आपको ज्ञात होगा, कि बिना मांस, मछली एवं तीखे मसालों तथा तामसी भोजन वस्तु के बिना पूर्ण सात्विक भोजन भी आपको स्वादिष्ठ लग सकता है।
जैसे-जैसे जैन धर्म का प्रचार प्रसार विश्व के अन्य क्षेत्रों में हुआ इस समुदाय विशेष की पाक कला का प्रचार प्रसार भी बहुत तेज़ी से हुआ। जिसके फलस्वरूप आज बहुत सारे देशों में जैन भोजनालय देखे जा सकते हैं।
Buddhism religious food | भारतीय खानपान एवं बौद्ध धर्म
बौद्ध धर्म ने भारतीय व्यंजनों को भी पर्याप्त रूप से प्रभावित किया है। बौद्ध धर्म के अनुयायी भी आमतौर पर शाकाहारी होते हैं, क्योंकि वे भी जीवन के किसी भी रूप को चोट पहुंचाने में विश्वास नहीं करते हैं।
लेकिन कुछ बौद्ध अनुयायी कुछ हद तक मांस का सेवन तभी करते हैं, जब जानवर प्राकृतिक कारणों से मर गया हो। भोजन के लिये उसका शिकार नहीं किया गया हो।
यहां भी शाकाहारी व्यंजन सर्वोच्च हैं, क्योंकि विशेष रूप से बनाए गए विभिन्न प्रकार के व्यंजन विकसित किए गए हैं, जो ज्यादातर तिब्बती संस्कृति से प्रेरित हैं।
सूप के विभिन्न रूपों, उबली हुई सब्जियां और सबसे लोकप्रिय मोमोज ने भारतीय लोगों के भोजन की आदतों को बहुत प्रभावित किया है।
Christian food | भारतीय खानपान एवं ईसाई धर्म
भारतीय भोजन पर अन्य महत्वपूर्ण धार्मिक प्रभाव ईसाई धर्म का देखने को मिलता है। भारतीय व्यंजनों पर ईसाई प्रभाव ने भारतीय भोजन शैली को काफी हद तक बदल दिया।
सूप, सलाद तथा ग्रिल्ड मीट भारत में ईसाइयों के बीच प्रसिद्ध व्यंजन हैं। ईसाई धर्म के आगमन के साथ मांसाहारी खाने की अलग-अलग डिशेज का आगमन भी हुआ।
हलवा, कटलेट, भुना हुआ मांस, ओवन में पके हुए खाद्य पदार्थ जैसे केक, बिस्कुट और जैम जैसे व्यंजन प्रसिद्ध ईसाई खाद्य पदार्थ के रूप में भारतीय व्यंजन श्रृंखला का हिस्सा बन गए हैं।
Facts about Indian food | भारतीय भोजन से जुड़े तथ्य
भारतीय खाना बनाने की कला अपने आप में विशेष है, क्योंकि इसमें उपलब्ध सामग्री का उपयोग करके ही स्वादिष्ट भोजन बनाना महत्व रखता है।
यही कारण है, कि भारत में हर जिले के अपने प्रसिद्ध व्यंजन हैं। जैसे दाल का एक व्यंजन यदि उत्तर भारत में प्रसिद्ध है, तो वहीं मीन मोली नामक मछली की करी दक्षिण भारत में ही बनायी जाती है।
वैसे ही पश्चिमी भारतीयों को पोर्क डिश विंदालू के बिना भोजन का स्वाद नहीं मिल सकता है। भारत का प्रत्येक प्रान्त अपने किसी न किसी व्यंजन के लिए प्रसिद्ध है।
पूर्वी भारतीय को अपनी मिठाइयों से अत्यंत प्यार होता हैं। उनमें से सबसे प्रसिद्ध छेना गाजा एक प्रसिद्ध मिष्ठान है। भारत में हलवा, एक प्रसिद्ध नाश्ते का व्यंजन है।
जिसमें सूजी, चीनी, बादाम और कद्दूकस किया हुआ पिस्ता शामिल होता है। भारतीय पारंपरिक स्नैक्स में समोसा पहले स्थान पर आता है।
आलू एवं मटर से भरा एक गरमा गरम चटपटा नाश्ता जो उत्तरी भारत में प्रसिद्ध है। सम्पूर्ण भारत विशेष रूप से मुंबई एवं बंगाल में पफ किया हुआ चावल जिसे स्थानीय भाषा में मुरमुरा कहा जाता है।
इसे दही, इमली, और आलू के साथ मिलाने पर भेल पुरी बन जाता है, इसके चटपटे स्वाद की वजह से कोई भी इसका दीवाना हो सकता है।
भारतीय भोजन के बारे में कुछ आश्चर्यजनक तथ्य भी हैं। जो आपको खाना पकाने के तरीके को लेकर आपकी सोच को पूरी तरह बदल सकता है।
Fast food preparation | त्वरित भोजन
भारतीय पाक कला के विषय में एक आश्चर्यजनक तथ्य यह है, कि भारतीय व्यंजन बिना किसी तैयारी विशेष के पकाया जा सकता है।
जबकि भारतीय रसोई में डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों विशेष रूप से मसालों का उपयोग ज़्यादा पसंद नहीं किया जाता है। उसके बाद भी भारतीय व्यंजन जल्दी बन जाते है।
ब्राउनिंग, बबलिंग, सॉटिंग, बारबेक्यूइंग भारतीय भोजन तैयार करने के लिए उपयोग की जाने वाली सबसे प्रसिद्ध तकनीक हैं, जिनके आधार पर व्यंजन तैयार किये जाते हैं।
आम तौर पर सूखे भुने हुए साबुत मसालों से भोजन पकने की तैयारी शुरू होती है, प्याज, अदरक, लहसुन जैसे मसलों एवं जड़ी बूटियों के साथ सब्ज़ियों को पकाते है।
Importance of Curry Powder | भारतीय व्यंजन में करी पाउडर
करी पाउडर को लेकर पाश्चात्य जगत में सभी लोग बहुत उत्सुक रहते है, जबकि भारतीय खाने में करी पाउडर नामक कोई चीज इस्तेमाल नहीं होती।
प्रत्येक व्यंजन मूल सामग्री से तैयार किया जाता है, तथा करी को सभी अलग-अलग मसालों की सामग्री को पिसा या साबुत बर्तन में मिलाकर पकाया जाता है।
हर व्यंजन के लिए हर बार स्वाद और महक के लिए एक अलग मसालों का मिश्रण प्रयोग करी बनाने के लिए होता है। मसाले का मिश्रण, स्टू पाउडर, धनिया, जीरा, एवं अन्य विभिन्न स्वादों तथा गुणों वाले गीले सूखे,गरम मसलों आदि से तैयार किया जाता है।
प्रत्येक करी का स्वाद उसमे शामिल मसालों के अनुपात, पकाने वाले की कला तथा खाने वाले के स्वाद पर निर्भर करता है। यही संतुलन एक परिपूर्ण स्वादिष्ट भोजन तैयार करने में सहायक है।
6 kind of taste in Indian food | 6 स्वादों का मिश्रण
भारतीय व्यंजन समस्त संसार के लोगों को अपनी ओर जिस कारण से आकर्षित करते हैं, वह है इसका अनोखा स्वाद।
पारंपरिक भारतीय भोजन 6 अद्वितीय स्वादों – मीठा, नमकीन, कड़वा, खट्टा, अम्लीय तथा मसालेदार से मिलकर अपने अनोखे स्वाद को प्राप्त करता है।
अगली बार जब आप दावत खाएं, तो आपको हर स्वाद पर ध्यान देना चाहिए, जो आपकी स्वाद ग्रंथियों को प्रभावित करता है।
सच कहा जाए, तो अधिकांश भारतीय खाद्य पदार्थ मीठे एवं खट्टे स्वाद के बिना नहीं बन सकते। भारतीय भोजन के टेंगी स्वाद की वजह से ही यह लोगों में प्रसिद्ध है।
Sauces in Indian food | चटनी भारतीय व्यंजन की आत्मा
भारत में भोजन कई प्रकार की चटनियों के साथ परोसा जाता है। सच कहा जाये तो चटनी के बिना किसी भी भारतीय थाली की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
चटनी का स्वाद न केवल हम भारतीयों को बल्कि विदेशियों के मुँह में पानी ला सकता है। इनका अनोखा खट्टा मीठा स्वाद आपकी स्वाद ग्रंथियों को खोलने में पूरी तरह सक्षम होता है।
अंग्रेज़ों को तो भारतीय चटनी का स्वाद इतना पसंद आया, कि उन्होंने एक चटनी का नामकरण “मेजर ग्रे “ ही कर दिया।
Importance of rice | भारतीय व्यंजन में चावल
भारतीय भोजन में चावल का उतना ही महत्व है, जितना कि चपाती या रोटी का है। चावल को कई अलग-अलग तरह से भोजन में शामिल किया जाता है।
खिचड़ी नामक चावल तथा दाल को मिलकर बनाया जाने वाला व्यंजन भारतीयों का पसंदीदा भोजन है। इसको भारत के लगभग हर प्रांत में अलग-अलग प्रकार से बनाया जाता है।
वहीं चावल से बनने वाले सुगंधित पुलाव तथा बिरयानी उत्तर भारत की विशेषता हमेशा से रही है। बिरयानी के शाकाहारी एवं मांसाहारी दोनों स्वरूप प्रसिद्ध हैं।
फिरनी एवं खीर जैसी स्वादिष्ठ मिष्ठान भी चावल से बनाये जाते हैं। चावल से बनने वाले दक्षिण भारतीय व्यंजन जैसे डोसा, इडली आदि अत्यंत प्रसिद्धि प्राप्त कर चुके हैं।
उपरोक्त बातों के आधार पर भारतीय व्यंजन अपनी विशेषताओं में पूर्णता को प्राप्त करता है। यही सारी विशेषताएं मिलकर इसको सर्वश्रेष्ठ भी बनती हैं।
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