भारत में शायद ही ऐसी कोई महिला होगी, जो करवा चौथ ( karva chauth ) व्रत के बारे में नहीं जानती हो। धर्म संस्कृति से ऊपर उठकर अपने पति के लिए यह व्रत रखती है।
निश्चित तौर पे इस त्यौहार का अपना एक ग्लैमर भी है। जिसे भारतीय फिल्मो में भरपूर देखा जा सकता है।
हम दिल दे चुके सनम, दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे जैसी मशहूर फिल्मो के यादगार सीन एवं गाने हम सभी को अच्छे से याद है।
ग्लैमरस होते हुए भी यह व्रत वास्तव में कठिन है। किसी भी सुहागन का उसके पति के लिए प्यार और बलिदान का उदाहरण है।
इतना कठिन होने भी सभी सुहागने और जिनकी शादी होने वाली है, वो भी ख़ुशी ख़ुशी इस व्रत को रखती है।
यहाँ उन प्रेमिकाओ को भी नजर अंदाज करना गलत होगा। जो सबसे छुपकर अपने प्रेमी को पति के रूप में पाने और उनकी कुशलता के लिए यह परीक्षा देती है।
पत्नी का अपने लिये इतना प्यार देख कठोर दिल पति भी पिघल जाता है, और फिर एक बार पत्नी जीत जाती है।
शायद ही कोई ऐसा पति होगा, जो अपनी पत्नी के लिए करवा चौथ का गिफ्ट न लाये भले ही एक फूल क्यों ना हो। ऊपर से वो गिफ्ट सोने का जेवर हो तो क्या कहना।
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Karva Chauth puja | करवा चौथ पूजा की विधि
करवा चौथ व्रत के लिए हर सुहागन के मन में बहुत उमंग होती है। इस दिन वह पूरे सोलह श्रृंगार के साथ पूरे विधि विधान से इस व्रत को पूर्ण करती है।
इस व्रत की तैयारी सुहागने बहुत दिन पहले से कर देती है। नए वस्त्र, गहने, चूड़ियां, मेहँदी साज श्रृंगार की वस्तुओ का संग्रह व्रत के लिए पहले ही कर लिया जाता है।
चलिए जानते है, कि भारत के अलग अलग राज्यों में किस प्रकार इस त्यौहार को मनाया जाता है।
Punjabi Karva Chauth | पंजाबी करवा चौथ
पंजाब में karva chauth |करवा चौथ का त्यौहार या व्रत बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है। पंजाब में हर सुहागन स्त्री इस व्रत को पूरे विधि विधान के साथ करती है।
व्रत के दिन सुबह सूर्योदय से पहले ही सुहागन महिला उठकर दैनिक क्रिया से निवृत होकर नहा धोकर तैयार हो जाती है, और अपनी सास द्वारा दी गयी सरगी ( sargi ) का सेवन करती है।
पंजाबी विधि में सरगी बहुत ही मुख्या होती है जिसमे फिरनी बहुत ज़रूरी है। जिसको खा कर सुहागने अपने व्रत की शुरुआत करती है। दिन भर पूरे उत्साह के साथ शाम की पूजा की तैयारी की जाती है।
पूजन स्थान पर सुबह ही करवा की स्थापना की जाती है। पहले समय में तो दिवार पर हाथ से करवा की कथा का चित्र बनाया जाता था। परन्तु आजकल तो तैयार केलिन्डर को दिवार पर सजा दिया जाता है।
उसके सामने चौकी पर एक ताम्र पात्र ( लोटे ) में शुद्ध जल भरकर उसमे चावल के या गेंहू के 13 दाने डाले जाते है, और उस कलश को चावल के ऊपर स्थापित किया जाता है।
करवा माता के सामने एक अखंड शुद्ध घी का दीपक भी जलाया जाता है, जो की रात को चंद्र को अर्ध्ये देने और व्रत समाप्ति तक अखंड जलता है।
चंद्र दर्शन तक सुहागन निर्जला व्रत का पालन करती है। शाम होते सभी सुहागन महिलाये पूरे सोलह श्रृंगार से दुल्हन की तरह सजती है। चंद्र उदय से पूर्व एक जगह इकठा हो कर गोलाकार घेरा बना कर बैठती है।
उनके पास एक पूजन की थाली होती है, जिसमे दीपक, फूल, फल, मिठाई के साथ ही एक चलनी भी होती है, जिसमे से सुहागन चंद्र को अर्ध्य देने के बाद अपने पति के दर्शन करती है।
सभी महिलाये मिलकर करवा चौथ की कथा एक दुसरे को सुनाती है, और अपनी थाली की अदला बदली करती है।
चंद्र उदय होने पर चंद्र अर्ध्य देकर पति के दर्शन करती है। तब पति अपने हाथो से जल पिलाकर अपनी पति के व्रत को तोड़ते है।
पत्नी पति के चरण स्पर्श कर सदा सुहागन होने का वरदान मांगती है। व्रत के पूरा होने पर पति अपनी पत्नी को अपनी क्षमता के अनुसार उपहार देते है।
Karva Chauth in Uttar Pradesh | उत्तर प्रदेश में करवा चौथ
उत्तर प्रदेश में भी करवा चौथ पंजाब के सामान ही मनाया जाता है। बस कुछ विधियां अलग होती है, जैसे यहाँ व्रत की शुरुआत में सुहागन केवल जल पीकर अपने व्रत की शुरुआत करती है।
दिन भर शाम के लिए तरह तरह के व्यंजन बनाये जाते है, महिलाये मिलकर मंगल गीत गाती है। शाम होते ही करवा की स्थापना करके दीप प्रज्जवलित करती है।
सोलह श्रृंगार करके आस पास की महिला को या अपने परिवार की महिला को करवा चौथ व्रत की कथा सुनाती है, और उनसे सुनती भी है।
चंद्रमाँ के उदित होने पर उसको जल और अर्ध्ये चढ़ाकर अपने पति के दर्शन जल पात्र में या छलनी में करती है। उसके बाद पति के हाथ से जल पीकर व्रत को पूर्ण करती है।
घर के बड़ों और पति का आशीर्वाद ग्रहण करती है। उत्तर प्रदेश में मीठे गुलगुलों से चंद्र को भोग लगाया जाता है।
Karva Chauth Vrat Preparation | करवा चौथ व्रत की आवश्यक सामग्री
वैसे तो इस व्रत में कोई विशेष पूजन सामग्री नहीं लगती। लेकिन निम्नलिखित चीज़े है जो पूजन में आवश्यक होती है।
Karva | करवा
करवा एक प्रकार का मिटटी का पात्र होता है, जिसमे जल भरकर चंद्र को अर्घ दिया जाता है। ये वैसे तो मिटटी का बना हुआ होना चाहिए, जिसको सुन्दर रंगों से सजाया जाता है।
लेकिन आजकल कुछ महिलाये चांदी या ताम्बे के करवा का भी प्रयोग करती है।
Karva chauth Story Picture | करवा चौथ की कथा का चित्र
पूजन के लिए करवा का एक चित्र भी चाहिए होता है। कुछ महिलाये पूजन के स्थान पर दीवार पर अपने हाथों से इस चित्र का निर्माण करती है।
तो वही आजकल ज़्यादातर महिलाए बाजार में मिलने वाले पोस्टर का प्रयोग करती है।
Puja ki Thali | पूजा की थाली
पूजन के लिए एक थाली की भी आवश्यकता होती है। इस थाली को बहुत सुन्दर सजाया जाता है। आजकल तो महिलाये सामूहिक पूजन करती है, तो सुन्दर थाली का कम्पटीशन भी किया जाता है।
Tamra Patra | ताम्र पात्र
कलश स्थापना के लिए एक ताम्र पात्र भी ज़रूरी होता है।
Rice | चावल
कलश में डालने के लिए 13 दाने साबुत चावल के दानो की भी ज़रूरत होती है। कई जगह चावल की जगह 13 गेहूं के दानो का भी प्रयोग किया जाता है।
Fruits, Flower, Sweets | फल, फूल एवं मिठाई
थाली में करवा माता को और चंद्र को भोग लगाने के लिए मिठाई की आवश्यकता पड़ती है। वही फल और फूल भी पूजन में लगते है।
Mehndi | मेहंदी
मेहँदी का हर सुहागन महिला के जीवन में बहुत ही शुभ और ज़रूरी स्थान होता है। तो करवा चौथ पूजन में बिना मेहँदी के कैसे बात बन सकती है।
करवा माता के चरणों में मेहँदी को भी चढ़ाया जाता है, ताकि वो सुहागन को सदा सुहागन होने का वरदान दे। अपने श्रृंगार के लिए भी महिला अपने हाथो और पैरों में मेहँदी से सुन्दर डिज़ाइन लगाती है।
Bangles | चूड़ी
पूजन के दौरान लाल या हरे रंग की चूड़ियां माता को चढ़ाई जाती है, जो की अमर सुहाग का प्रतीक होती है।
अपने हाथों में भी सुहागन महिला चूड़ियोंधारण करती है। उसकी चूड़ियों की खनक से पूरा घर चहकता है, और ख़ुशी और सम्पनता झलकती है।
jewels | बिछिया और गहने
पूजन में गहनों का बहुत ही प्रमुख स्थान है। हर महिला अपने सोलह श्रृंगार को पूरा करने के लिए सुन्दर गहनों को पहनती है।
वही बिछिया का भी अलग ही महत्व है। हर वर्ष करवाचौथ के दिन सुहागन नई बिछिया पहनती है।
Dress | वस्त्र
पूजा में नए वस्त्र पहने जाते है। भारतीय परंपरा के अनुसार महिलाये साडी या लेहंगा चोली पहनती है। यदि किसी कारण नया जोड़ा न ले पाए तो अपने विवाह का जोड़ा भी पूजन में पहन सकते है।
Story Behind Karva Chauth | करवा चौथ की पौराणिक गाथा
करवा चौथ व्रत को लेकर एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार वीरवती नाम की एक बहुत सुन्दर स्त्री थी जो की अपने सात भाइयों की इकलौती बहिन थी। उसके सातों भाई उससे बहुत अधिक प्रेम करते थे।
जब वीरवती ने अपने पिता के घर पर अपना पहला व्रत रखा तो उसके कठिन सुबह सूर्योदय से लेकर रात तक के व्रत कारण भूखे प्यासे रहने से उसके सातों भाइयों का मन अति विचलित हो उठा।
उसके भाई अपने बहिन को इस दशा में नहीं देख पा रहे थे, और चन्द्रमा था की निकलने का नाम ही नहीं ले रहा था।
तब वीरवती के भाइयों के मन में बहिन को इस कठिन व्रत से मुक्त करने का एक उपाय सूझा। उन्होंने एक पीपल के वृक्ष पर एक शीशे को इस तरह रखा की वो पेड़ की ओट से झांकते हुए चन्द्रमा जैसा दिखे।
इसके बाद दूसरे भाई ने जाकर चंद्र उदय की झूटी सुचना दी। वीरवती ने अपने भाइयों की बात पर विश्वास करके अपने व्रत को तोड़ दिया।
जब व्रत समाप्ति के उपरांत वीरवती भोजन ग्रहण करने बैठी तो पहले निवाले के साथ उसको छींक आ गयी। दूसरे निवाले में बाल आ गया, और तीसरे निवाले के पश्चात् उसके पति की बुरी सूचना उस तक पहुँच गयी की उसके पति का देहांत हो गया है।
वीरवती रोती कलपती हुई अपने ससुराल की ओर अपने भाइयों के साथ निकली और वहां पहुंच कर अपने पति की मृत देह को अपनी गोद में रख कर विलाप करती रही जब तक की उसका विलाप देखकर देवी का हृदये नहीं पिघला।
देवी का हृदये उसके करूण क्रंदन को देखकर अति द्रवित हो गया और वो उसके समक्ष प्रकट हुई।
देवी ने वीरवती से विलाप के कारण को पूछा वीरवती ने रोते हुए सारी बात देवी माँ को बताई।
देवी को को इस बात का ज्ञान हुआ की किस प्रकार वीरवती अपने भाइयों की कारस्तानी का शिकार हुई है। इसमें उसका कोई दोष नहीं है।
तब देवी ने वीरवती को पुनः व्रत को पूरी निष्ठां से रखने के लिए कहा। जब वीरवती ने पूरे विश्वास और निष्ठां के साथ करवा चौथ व्रत किया तो यमराज को भी उसके पति के प्राण लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा।
देवी ने वीरवती को कहा की अब से जो भी स्त्री पूरे विश्वास और मन से व्रत पूर्ण करेगी उसका सुहाग बना रहेगा।
हर परेशानी से उसके पति की रक्षा होगी। तभी से करवाचैथ का व्रत हर सुहागन स्त्री बड़े विश्वास और उत्साह से पूरा करती है, तथा अपने पति की लम्बी और स्वस्थ आयु की प्रार्थना चौथ माता से हर साल करती है।
Other Story | दूसरी कथा
व्रत को लेकर एक और प्रसिद्ध कथा के अनुसार बहुत वर्ष पहले करवा नामक एक सुहागन महिला थी।
वह बहुत ही पतिव्रता स्त्री थी। सारा गांव और आसपास के गावों में भी उसके पति के प्रति प्रेम और निष्ठां की लोग प्रशंसा करते और मिसाल देते थे।
एक दिन जब करवा का पति नदी में स्नानं करने गया तो मगरमच्छ ने उसका पैर पकड़ लिया और उसको नदी में गहरा खींचकर ले जाने लगा तब करवा के पति ने करवा को पुकारा।
करवा अपने पति की करूण पुकार सुनकर नदी तट पहुंची और अपने पति को मुसीबत में देखकर विचलित हो उठी।
उसने मगरमच्छ को अपने की गहराई में जाने से रोकने के लिए उसे एक धागे से बांध दिया, और उससे अपने पति को अपना आहार न बनाने की प्रार्थना की।
परन्तु मगरमच्छ ने ऐसा करने से मना कर दिया और करवा के पति को मारने की ज़िद पर अड़ा रहा। तब करवा ने यमराज का आव्हान किया। उनसे मगरमच्छ के प्राण हरने और उसे यमलोक में भेजने का आग्रह किया।
यमराज ने जब करवा को इस बात के लिए इंकार किया तो वह अति क्रोधित हो गयी और यमराज को श्राप देने की बात कही।
यमराज उसके क्रोध को देखकर भयभीत हो गए, और मगरमछ के प्राण हर उसे अपने साथ यमलोक ले गए।
यमराज ने करवा के पति को लम्बी आयु का आशीर्वाद भी दिया। इस प्रकार दोनों ने बहुत लम्बी आयु तक अपने विवाहित जीवन को जिया।
तभी से करवा माता के आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए समस्त सुहागिन स्त्रियां करवाचौथ के व्रत का अनुसरण करती आ रही है।
Satyavan and Savitri | सत्यवान और सावित्री
एक और प्रसिद्ध कथा के अनुसार बहुत समय पहले सत्यवान और सावित्री नामक दम्पति हुआ करते थे।
बहुत ही अल्प आयु में एक दिन अचानक सत्यवान की मृत्यु हो गयी और यमराज उसके प्राण हर कर यमलोक के लिए जाने लगे। तब सावित्री ने यमराज के चरणों में गिरकर अपने सुहाग की भीख मांगी।
परन्तु यमराज ने उसको कहा की सत्यवान की आयु बस इतनी ही थी। सृष्टि के नियम के अनुसार आयु पूर्ण होने पर हर व्यक्ति प्राण त्यागने ही पड़ते है। इसलिए वो सत्यवान के प्राण अपने साथ यमलोक ले जाने के लिए आये है।
तब सावित्री ने यमराज से विनती की के वो उसको भी मृत्यु दे दें और सावित्री को भी उसके पति के साथ यमलोक ले चलें।
लेकिन यमराज ने इसके लिए भी इंकार कर दिया, क्योंकि सावित्री की आयु अभी बची थी।
जब सावित्री ने अपनी ज़िद नहीं छोड़ी तो यमराज ने उससे सत्यवान के प्राणों के अलावा कुछ भी वरदान रूप मांगने को कहा। सावित्री ने यमराज से पुत्रवती होने का आशीर्वाद माँगा।
यमराज ने उसको ताथात्सु कहा तो सावित्री ने यमराज से कहा की ” हे प्रभु आप मेरे पति के प्राण तो अपने साथ ले जा रहे है, तो मैं किस प्रकार पुत्रवती हो सकती हूँ ? ” इस प्रकार आपका दिया वरदान व्यर्थ है।
तब यमराज को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्हें सत्यवान के प्राण वापस करने पड़े।
इसके बाद यमराज के अनुसार सावित्री और सत्यवान को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई और उन्होंने सुखी विवाहित जीवन जिया।
Present Day Karva Chauth | वर्तमान में करवा चौथ
तो आपने देखा कैसे एक सुहागन स्त्री अपने पति की लम्बी आयु के लिए यमराज से भी लड़ जाती है, और अपने पति की रक्षा करती है।
करवा चौथ एक सुहागन स्त्री के प्यार और विश्वास की पराकाष्ठा का उत्सव है। जिसमे वो निर्जला व्रत रखकर अपने सुहाग की रक्षा का प्रण लेती है।
स्त्री की आस्था के आगे भगवान् को भी हारना पड़ता है। आज के आधुनिक दौर में इस त्यौहार ने भी कुछ परिवर्तन आ गये है।
परन्तु भारतीय महिला कितनी भी आधुनिक क्यों न हो जाये, वो अपने पति और परिवार को लेकर बहुत इमोशनल होती है। इसके लिए हर महिला इस व्रत को पूरी निष्ठां और विश्वास के साथ पूरा करती है।
ये व्रत पति और पत्नी को एक दुसरे के निकट लाने का भी काम करता है। साल भर कितना भी मन मुटाव रहे। परन्तु इस दिन हर पति पत्नी एक दुसरे के लिए सब बाते भूल जाते है। आजकल तो पति भी अपनी पत्नी के लिए व्रत करते है।
सबसे जरूरी बात इस करवा चौथ अपनी देखभाल और दमकती त्वचा के लिए फ्रूट फेस पैक ( fruit face pack ), टोमेटो फॉर फेस ( tomato), खीरे का फेस मास्क ( kheera face mask ) जरूर पढ़े और इस दिन पति को इम्प्रेस करने में कोई कसर छोड़े।
इस व्रत से सम्बंधित वीडियो के लिये यू ट्यूब चैनल हिन्दीराशिफ़ल पर करवा चौथ ( karva chauth ) भी देखे और साथ ही आपकी और आपके पति की राशि में प्रेम को जांचे।
अब आप हिन्दी राशिफ़ल को Spotify Podcast पर भी सुन सकते है। सुनने के लिये hindirashifal पर क्लिक करे और अपना मनचाही राशि चुने।
Why do we celebrate Karva Chauth?
करवा चौथ व्रत का सम्बन्ध पत्नी का पति के लिए प्यार और समर्पण दर्शाता है। विवाहित महिलाये यह व्रत अपने पति के अच्छे स्वस्थ और लम्बी उम्र के लिए रखती है। कुवारी लड़किया भी यह व्रत अच्छे जीवन साथी पाने की लालसा में रखती है।
Can an unmarried girl keep Karva Chauth?
आज कल यह व्रत अविवाहित लड़किया अपने प्रेमी को पति रूप में अथवा एक अच्छे जीवन साथी को पाने की लालसा में रखती है।
Can we drink water in Karva Chauth?
यह उपवास निर्जला होता है जिसका मतलब है पानी नहीं पि सकते है परन्तु यदि विवाहित स्त्री गर्भवती हो अथवा अन्य शारीरिक कास्ट होने पर जितना संभव हो उतना पालन ही करने की सलाह दी जाती है।
How can I break my Karva Chauth fast?
करवा चौथ व्रत में चन्द्रमा के दर्शन एवं पूजा के बाद पति की पूजा कर आशीर्वाद साथ करवे का जल अवं मिठाई या फल पति के हाथ से ग्रहण करते है और व्रत समाप्त करते है। इसके पश्चात् विशेष रूप से बनाया भोजन ग्रहण करते है।