यदि आप रोमांच के प्यासे हो या भारत की सबसे रहस्यमयी जगहों की तलाश करने की जिज्ञासा आपके भीतर हो तो भारत में आप निराश नहीं होंगे।
प्रेतबाधित स्थानों जैसे भानगढ़ का किला (Bhangarh fort) से लेकर तर्क और विज्ञान के नियमों को झुठलाने वाले स्थान आपको विस्मित कर देंगे।
भारत का अतीत एक समृद्ध इतिहास का रहा है। प्राचीन समय से यहाँ की मिट्टी में अलग-अलग संस्कृतियों, धर्मों, लोगों एवं परम्पराओं का मिलन होता रहा है।
एक समृद्ध संस्कृति, इतिहास आध्यात्मिक, चमत्कारों एवं पारलौकिक शक्ति में विश्वास करने वाले लाखों लोगों के साथ, भारत निश्चित रूप से एक रहस्यों से भरा देश भी रहा है।
भारत में जहाँ एक ऐसी जगह जहां पक्षी आत्महत्या करते हैं, तो एक ऐसा किला भी है, जहां सूर्यास्त के बाद लोगों का प्रवेश वर्जित है। ये सिर्फ कहने भर की बात नहीं, कि भारत में रहस्यमयी स्थानों की कोई कमी नहीं है।
जिन लोगों को अनूठी एवं रहस्यात्मक जगहों पर घूमने का शौक होता है, उनके लिए भारत एक अच्छी जगह है,क्योंकि यहाँ आपको प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ रहस्य एवं रोमांच का अनुभव भी प्राप्त होगा।
जब आप भारत में भ्रमण पर निकलते हो तो न केवल आपका सामना प्राकृतिक नज़रों से होता है, बल्कि आप उस स्थान की जगहों से जुडी कहानियों के द्वारा भारत के अनूठे इतिहास से भी खुद को जोड़ पाते हो।
चलिए भारत के कुछ ऐसे ही रहस्य एवं रोमांच से भरे भ्रमण स्थलों के विषय में अपना ज्ञान बढ़ाने की शुरुआत करते हैं, भानगढ़ के किले के रहस्य को जानने से।
History of Bhangarh fort | भानगढ़ का इतिहास
यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी, कि भारत में घूमने के लिए शीर्ष रहस्यमय स्थानों की कोई सूची बनाई जाए, तो राजस्थान में भानगढ़ किले के उल्लेख के बिना वह अधूरी होगी।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा पर्यटकों को सूर्यास्त के बाद किले में प्रवेश करने से मना करने वाले नोटिस बोर्ड के साथ भानगढ़ का किला निस्संदेह भारत के सबसे रहस्यमय स्थानों में प्रथम है।
कभी लोगों की दैनिक गतिविधि से भरपूर एक हलचल भरा शहर जिसमे आज यह किला पूरी तरह वीरान अपने भीतर यहाँ का इतिहास छिपाये हुए खड़ा है।
भानगढ़ का किला आमेर के कछवाहा शासक राजा भगवंत सिंह ने अपने छोटे बेटे माधो सिंह के लिए 1573 ई. में बनवाया था।
माधो सिंह के भाई प्रसिद्ध मान सिंह थे, जो अकबर के सेनापति थे। माधो सिंह का उत्तराधिकारी उसका पुत्र छत्र सिंह हुआ। छत्र सिंह के पुत्र अजब सिंह ने अजबगढ़ का किला बनवाया था।
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Mysteries behind Bhangarh fort | भानगढ़ किले से जुड़े रहस्य
वैसे तो किसी भी प्रकार की पैरानॉर्मल एक्टिविटीज को आंकना मुश्किल है, लेकिन जब सरकार आपको कुछ खास जगहों से दूर रहने के लिए कहती है, तो वहा कुछ ऐसा होता है, जो जन सामान्य के लिये सुरक्षित नहीं होता है।
इस किले का इतिहास 17 वीं शताब्दी का है, यह किला निश्चित रूप से कमजोर दिल वालों के लिए बनी जगह नहीं है।
जब आप इस किले को देखते हैं, तो आप इसकी राजसी वास्तुकला को देखकर आश्चर्यचकित हो सकते है। किन्तु अक्सर इस किले को देखने वाले महसूस करते हैं, कि उनको यहाँ चिंता एवं बेचैनी की भावना का एहसास होता है।
कुछ आगंतुकों ने यह भी बताया कि उन्हें व्यामोह या मानसिक उन्माद जैसा एक अजीब सा एहसास होता है, जैसे कि कोई उनका पीछा कर रहा हो।
यही कारण है, कि किले की इतनी लोकप्रियता के बावजूद आगंतुक लंबे समय तक किले के परिसर में घूमने से बचते हैं। रात में भानगढ़ किले के अंदर घूमना या रहना पूरी तरह से प्रतिबंधित है।
तथ्य की पुष्टि के रूप में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने भानगढ़ में कई स्थानों पर लोगों को सूर्यास्त के बाद तथा सूरज उगने से पहले परिसर में रहने के खिलाफ चेतावनी देने के लिए बोर्ड भी लगाए हैं।
स्थानीय लोगों के अनुसार, जो कोई भी रात में किले के अंदर जाने में कामयाब रहा, वे अपनी कहानी बताने के लिए कभी नहीं लौटे।
क्योंकि ऐसा माना जाता है, कि रात में आत्माएं किले में घूमती हैं, जो इस जगह को पारलौकिक गतिविधियों के लिए एक केंद्र में बदल देती है।
भानगढ़ के रहस्यों से जुडी कहानियों के अनुसार, भानगढ़ किले को गुरु बालू नाथ नामक एक साधु ने शाप दिया था।
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First story | पहली कथा
कहानी के अनुसार राजकुमारी रत्नावती, जो छत्र सिंह की पुत्री थी। उसकी सुंदरता के किस्से पूरे राजस्थान में प्रसिद्ध थे। राजकुमारी की सुंदरता के कारण दूर-दूर से उसके लिए विवाह प्रस्ताव आते थे।
एक तांत्रिक पुजारी जो काले जादू की कला में पारंगत था, राजकुमारी की सुंदरता के मोहपाश में बांध गया। किन्तु वह जानता था, कि राजकुमारी का विवाह उसके साथ होना मुश्किल है।
तांत्रिक ने अपनी काली विद्याओं के द्वारा राजकुमारी को अपने प्रति आकर्षित करने का प्रयास किया। वह अब इस मौके की जुगाड़ में था, कि किस प्रकार वह राजकुमारी पर जादू कर सके।
एक बार राजकुमारी की दासी को गाँव में उसके लिए इत्र खरीदते देख तांत्रिक के उस पर जादू कर दिया, ताकि रत्नावती को उससे प्यार हो जाए।
राजकुमारी रत्नावती को इस बात का जब पता चला, तो उसने वह इत्र की बोतल गुस्से में फेंक दी, जो यह एक शिलाखंड में बदल गयी तथा तांत्रिक को जा टकराई ।
उस वज़नी शिला से टकराकर तांत्रिक उसके वजन के नीचे कुचला गया था, लेकिन मरने से पहले उसने राजकुमारी, उसके परिवार एवं पूरे गांव को श्राप दे दिया।
अगले वर्ष भानगढ़ एवं अजबगढ़ की सेनाओं के बीच एक युद्ध लड़ा गया। जिसमें रत्नावती तथा भानगढ़ की अधिकांश सेना की मृत्यु हो गई।
तांत्रिक के श्राप के कारण गाँव या किले में किसी के यहाँ संतान का जन्म नहीं हो सकता था। जिसकी वजह से यह गांव एवं किला हमेशा के लिए उजाड़ हो गया।
धीरे-धीरे भानगढ़ भूतों का निवास स्थान बन गया। यदि कोई भी ग्रामीण यहाँ नया घर बनाने का प्रयास करता, तो उसकी छत नहीं बना पाता था।
Second story | दूसरी कथा
भानगढ़ से जुड़े रहस्यों की कहानियों में एक अन्य प्रसिद्ध कथानुसार, एक तांत्रिक साधु गुरु बालू नाथ, उस पहाड़ी की चोटी पर रहते थे, जिस पर राजा भगवंत सिंह अपने दुर्ग का निर्माण करना चाहते थे।
तांत्रिक की किले को उस स्थान पर बनाने देने की उसकी एकमात्र शर्त यह थी, कि किले की छाया कभी उसके निवास पर न पड़े।
तांत्रिक की इस शर्त का अजब सिंह को छोड़कर सभी ने पूरी तरह से पालन किया। उन्होंने किले में स्तंभ जोड़े जो तपस्वी के घर पर छाया डालते थे।
क्रोधित साधु के श्राप ने किले एवं उसके आसपास के गांवों को बर्बाद कर दिया। तांत्रिक की छतरी के नाम से जानी जाने वाली एक छोटी पत्थर की झोपड़ी से किले का नजारा दिखता है।
ऐसी ही बहुत सारी कहानियां एवं किस्से भानगढ़ के किले से जुड़े हुए है,जिनकी वजह से इसको देखने जाने के लिए लोगों के भीतर उत्सुकता जन्म लेती है।
Ambience of fort | किले का माहौल
जब आप इन कहानियों को अपने भीतर लिए हुए किले के अंदर प्रवेश करते हैं, तो आपका सामना खण्डरों से घिरी एक लम्बी सड़क से होता है, जो किले का एकमात्र रास्ता है।
सड़क के दोनों ओर के यह खंडहर कभी नर्तकियों के घर हुआ करते थे, जो उनके घुंघरूओं एवं संगीत की मधुर ध्वनि से गूंजा करते थे।
किले के भीतर आपको बड़े-बड़े बरगद के पेड़ मिलते हैं। किले का मुख्य प्रवेश द्वार आज भी आपको अपने वैभवशाली इतिहास से अवगत करता महसूस होता है।
किला भीतर से तीन मंज़िलों में विभाजित है। किले में सोमेश्वर मंदिर है, जिसकी खूबसूरत बावड़ी निर्माता की कला को दर्शाती है।
किले में ऊपरी मंज़िलों पर चढ़ने से पहले प्रत्येक व्यक्ति वहां अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करना नहीं भूलता। जिससे उसको किले में कोई नुकसान न पहुँच पाए। मंदिर के अंदर की दीवारें आज भी कड़ी है।
किले की सीढ़ियां एवं शीर्ष टूटे हुए स्तंभों, पत्थरों तथा उजाड़ दिखने वाली नक्काशीदार जगह से किला भरा हुआ है। किले में एक कक्ष और है, जो शायद रत्नावती का स्नानागार था।
पूरी तरह से वीरान एवं उजाड़ हो चुके इस किले का वैभवशाली इतिहास आप यहाँ बची हुई इमारतों एवं उनमे की गयी नक्काशी से लगा सकते हो।
भले ही आप वैज्ञानिक रूप से इस किले में किसी भी प्रकार की भूतिया कहानी को सच साबित न कर सकते हो, किन्तु यहाँ की उदासीन एवं निराशा माहौल को आप महसूस अवश्य कर सकते हो।
भारतीय समाज के इतिहास, विकास, भाषाओ, विविधताओं और उससे विभिन्न कलाओ पर पड़ने वाले प्रभाव को विस्तृत रूप से जानने के लिए भारतीय संस्कृति (Indian culture) पर जाये।
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