घर हर व्यक्ति का सबसे बड़ा सपना होता है। अपने इस सपने को पूरा करने का प्रयास हम सभी करते है। कुछ लोगों का यह सपना बहुत जल्द पूरा हो जाता है। 

वहीं कुछ लोगों का यह सपना पूरा होने में लंबा समय लगता है। किन्तु जब भी हमारे जीवन में अपना घर होने का सपना पूरा होता है, तो हमारा प्रयास रहता है, कि हमारा घर सभी सुख सुविधाओं तथा समृद्धि से भरपूर रहे। 

इसके लिए हम वास्तु शास्त्र के नियमों का भी पालन करते है। हमारे घर के प्लाट का आकार, दिशा, कमरों की दिशा इत्यादि का चयन वास्तु सिद्धांत के अनुसार करते है। 

लेकिन हम घर के दरवाज़ों तथा खिड़कियों ( Door and Windows ) के विषय में वास्तु -विचार करना भूल जाते है। हमारी छोटी सी भूल हमारे घर का पूरा वास्तु ख़राब कर देते है।

जिससे हमें घर में उतना अधिक सकारात्मक परिणाम प्राप्त नहीं हो पता। दरवाज़े हमारे घर में लोगों के प्रवेश करने के लिए ही नहीं होते, बल्कि हमारे घर में आने वाली सकारात्मक ऊर्जा भी इनसे ही प्रवेश करती है। 

एक और जहाँ सूर्य का प्रकाश हमारे घर में खिड़कियों तथा दरवाज़ों से घर में प्राकृतिक प्रकाश की व्यवस्था करता है। दूसरी ओर यही सूर्य की रौशनी घर से हर प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा का विनाश करती है। 

इसी वजह से घर में दरवाज़ों, खिड़कियों का सही जगह पर होना अत्यंत आवश्यक होता है। वास्तु शास्त्र में इसी कारण इनके लिए विस्तृत नियम बताए गए हैं।  

वास्तु शास्त्र एक प्राचीन विज्ञान पर आधारित है, जो मनुष्य और प्रकृति के बीच शांति एवं सामंजस्य को बढ़ावा देता है। यह शास्त्र हम सभी को हमारे जीवन में समृद्धि और आनंद प्राप्त करने की खोज में एक अच्छी तरह से परिभाषित मार्ग दिखाता है।

यदि आपकी खिड़कियां या दरवाजे इन सिद्धांतों के अनुसार नहीं बनाए जाते हैं, तो यह नकारात्मक ऊर्जाओं को जन्म दे सकता है। जिससे आपके जीवन में अवांछित मुद्दे और तनाव पैदा हो सकते हैं। 

Door and Windows vastu | दस्वाजे और खिड़किया वास्तु

वास्तु शास्त्र हमको घर में दरवाज़ों तथा खिड़कियों की संख्या के विषय में भी नियम बताता है। यदि हम अपने घर में इस सिद्धांत का पालन करते हुए अपने घर के दरवाज़ों या खिड़कियों को बनाते है तो अच्छा रहता है। 

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वास्तु के अनुसार, आपके घर की खिड़कियां और दरवाजे हमेशा सम संख्या में होने चाहिए, जैसे 2, 4, 6, 8 आदि। 10 की संख्या से हमें हमेशा बचकर रहना चाहिए। 

इनकी संख्या को हमेशा 8 के गुणांक में ही रखें।  ऐसा करना आपके घर में सकारात्मकता को बनाए रखेगा। खिड़कियों की संख्या भी हमेशा सम ही होना चाहिए। 

वास्तु के अनुसार, आपका मुख्य द्वार किसी भी प्रकार की बाधा से मुक्त होना चाहिए जैसे कि पौधे, बड़े पेड़, सीढ़ियां, खंभा आदि। 

इसके अतिरिक्त, आपके घर के मुख्य दरवाजे की सीध में या ठीक सामने कोई मंदिर नहीं होना चाहिए। ऐसा होने से घर की सुख शांति का हास् होता है। 

इसी तरह भगवान का कोई भी चित्र या मूर्ति भी आपके मुख्य दरवाजे के बाहर नहीं लटकाना चाहिए। यह भी वास्तु अनुसार गलत होता है। 

वास्तु नियमानुसार दरवाजे और खिड़कियां एक-दूसरे के विपरीत होनी चाहिए। ताकि सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा दोनों चक्र पूरे हों सकें । 

यह हवा के उचित प्रवाह को सही प्रकार से प्रसारित करने के लिए किया जाता है। जिससे कमरों के बीच क्रॉस-वेंटिलेशन की सुविधा मिलती है। 

इसके अलावा, एक कमरे से दूसरे कमरे तक प्रकाश के पर्याप्त संचरण की भी अनुमति देता है। किसी भी घर में सकारात्मकता के बने रहने के लिए प्राकृतिक प्रकाश अत्यंत आवश्यक होता है। 

घर के खिड़की, दरवाज़ों के लिए हमेशा प्रयास करें, कि सागौन की लकड़ी का ही प्रयोग किया जाये। इससे आपके घर की सुख शांति में विस्तार होता है। 

More Tips | कुछ अन्य जानकरी

यदि आपके घर में दो मुख्य प्रवेश द्वार हैं, तो उस स्थिति में, पूर्व की दिशा में उत्तर और पश्चिम, पश्चिम दिशा के साथ उत्तर और पूर्व के कॉम्बिनेशन में दरवाजों के संयोजन का विकल्प चुनें।

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हालांकि वास्तु विज्ञानं हमको दक्षिण और पश्चिम / पूर्व की दिशा से बचने की सलाह देता है। क्योंकि इसे घर की सकारात्मकता के लिए अशुभ माना जाता है।

इसी प्रकार खिड़कियों का निर्माण करते समय उत्तर दिशा की दीवार में खिड़कियां लंबी और चौड़ी होने के साथ-साथ उत्तर-पूर्व की ओर अधिक झुकी होनी चाहिए। 

यह व्यवस्था हवा और आवश्यक सुबह की रोशनी को बिना किसी रुकावट के फिल्टर करने और घर के भीतर प्रसारित करने में सहायक होता है।

इसके अतिरिक्त, पूर्व दिशा की ओर की दीवार पर बनाई गई किसी भी खिड़की को उत्तर-पूर्व की ओर अधिक झुकाया जाना चाहिए, जबकि ऊपर सूचीबद्ध समान कारण से लंबाई और चौड़ाई बनाए रखना चाहिए।

दो घरों या अपार्टमेंटों का मुख्य प्रवेश द्वार एक-दूसरे की ओर नहीं खुलना चाहिए।  क्योंकि यह वास्तु शास्त्र के अनुसार अत्यंत अशुभ माना जाता है।

दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर खुलने वाली खिड़कियों को बनाने से किसी भी कीमत पर बचना चाहिए। क्योंकि सूर्य के प्रकाश की हानिकारक, गर्म और नुकसानदायक पराबैंगनी किरणें इस दिशा में अधिकतम प्रक्षेपित होती हैं।

इसलिए, इस दिशा में कम खुलने वाले खिड़की दरवाज़े बनने की सलाह हमेशा  दी जाती है। एक महत्वपूर्ण वास्तु कारक जिस पर प्रत्येक घर के दरवाज़े, खिड़की बनाते समय विचार किया जाना चाहिए।

वह यह है, कि हवा का संचार हर समय हर बिंदु पर होना चाहिए। नियमित अंतराल पर प्रवाह सुनिश्चित करते हुए हवा को अपने परिसर में स्वतंत्र रूप से प्रवेश करने और बाहर निकलने की अनुमति देने वाली व्यवस्था की जानी चाहिए।

इसके पीछे कारण यह है कि यदि आपके परिसर में रुका हुआ पानी है, तो आपके घर में हवा का अपर्याप्त प्रवाह होने से हानिकारक वायरस और बैक्टीरिया के विकास को बढ़ावा मिल सकता है।

 इससे उत्पन्न होने वाली हानिकारक गैस घर में रहने वालों के लिए उपयुक्त नहीं होती है। इसलिए उचित वेंटिलेशन सुखी एवं  स्वस्थ जीवन सुनिश्चित करता है।

आपके घर की सभी खिड़कियाँ आदर्श रूप से एक समान आकार की होनी चाहिए। इसके साथ ही उनकी ऊंचाई और आकार में भी समानुपात होना चाहिए। 

इसके अलावा, दरवाजे और खिड़कियां का आकर हमेशा आयताकार होना चाहिए। फैंसी तथा अनियमित आकार के दरवाजे, खिड़कियों के निर्माण से बचें, क्योंकि उन्हें वास्तु के अनुसार शुभ नहीं माना जाता है।

दरवाजे को दीवार के केंद्र में लगाने से बचना चाहिए। यह आदर्श रूप से केंद्र से बहुत दूर होना चाहिए, साथ ही यह ध्यान रखना चाहिए, कि इसे बिलकुल कोने में भी न रखें।

वास्तु के अनुसार हमें स्वचालित दरवाजों अथवा खिड़कियों से हर कीमत पर बचना चाहिए। वास्तु के अनुसार जो दरवाजे अपने आप बंद हो जाते हैं, उनका नकारात्मक प्रभाव बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ता है।

दरवाजे और खिड़कियां में किसी भी प्रकार की क्षति या दरार नहीं  होनी चाहिए। यदि कोई क्षति या दरारें पाई जाती हैं, तो उन्हें  तत्काल प्रभाव से बदल दिया जाना चाहिए। क्योंकि इसे वास्तु के अनुसार अत्यंत अशुभ माना जाता है।

यदि आपके घर के  दरवाजे या खिड़कियां खोलते या बंद करते समय शोर करते हैं, या आवाज़ करते हैं, तो इसे जल्द से जल्द मरम्मत कराना या बदल देना चाहिए। क्योंकि ऐसा होने से आपके घर में अनावश्यक झगड़े हो सकते हैं।

वास्तु के अनुसार पूर्व दिशा की ओर मुख करके बना हुआ द्वार अत्यंत शुभ  माना जाता है। इसके अलावा, पश्चिमी और उत्तरी दिशा की ओर मुख वाले प्रवेश द्वार भी बनाए जा सकते हैं। 

हालांकि, दक्षिण दिशा में किसी भी प्रवेश द्वार को अत्यधिक उपयुक्त नहीं  माना जाता है। इसी तरह, अपने घर के दक्षिण-पश्चिम कोने में या किसी भी प्रकार की खिड़कियां या दरवाजे को बनाने से बचना उचित रहता है ।

यदि हम उपरोक्त वास्तु सिद्धांतों का पालन करते हुए अपने घर में खिड़की दरवाज़ों की व्यवस्था सुनिश्चित करते हैं। तो हमारे घर की सुख शांति अबाधित रहती है। 

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