घर में जिस तरह आपकी मुख्य बैठक, शयनकक्ष तथा स्टडी रूम की स्थिति महत्वपूर्ण होती है। उसी प्रकार घर के शौचालय निर्माण (Washroom Vastu) का स्थान भी अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। 

यदि आपके घर में शौचालय सही जगह,दिशा में न बना हो ,तो उससे उत्पन्न होने वाली नकारात्मक ऊर्जा आपके पूरे घर की सुख शांति को प्रभावित कर सकता है। 

यही वजह है,कि वास्तु शास्त्र में शौचालय को लेकर भी कुछ खास नियम बताये गए हैं। जिनका ध्यान घर बनाते समय सभी को रखना चाहिए। 

शौचालय से उत्पन्न होने वाली नकारात्मक ऊर्जा आपके घर पर बुरा असर डालकर आपको तथा आपके परिवार के सदस्यों को बीमार कर सकता है। 

यदि आप अपने घर के भीतर बाथरूम और शौचालय की जगह के निर्माण के नियमों का पालन करेंगे।  तो आप समझेंगे कि वास्तु शास्त्र केवल आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा सुनिश्चित करने के बारे में नहीं है। 

बल्कि इन नियमों का पालन करने से आपको अपने स्थान को स्वच्छ और उपयोगी रखने में भी मदद करता है।

Washroom vastu | शौचालय वास्तु के नियम

जब आप घर में शौचालय का निर्माण शुरू करते हैं, ठीक उसी समय वास्तु नियमों का पालन करना बेहतर होता है।

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एक बार घर के तैयार हो जाने के बाद, सभी पाइपलाइनों, ठीक से व्यवस्थित अलमारियों और वाशबेसिन, बाथटब आदि की दिशा पहले से तय हो जाने के बाद, परिवर्तन करना आसान नहीं होता। 

बाद में किये जाने वाले परिवर्तन आपके पूरे घर की सकारात्मक ऊर्जा को प्रभावित कर सकता है। इसलिए आपको जो भी सुधार करवाने हों, वह ग्रह प्रवेश से पूर्व ही करना उचित रहता है। 

Commode and Flush tank | कमोड तथा फ्लश टैंक

फ्लश टैंक कभी भी पूजा कक्ष या शयनकक्ष की दीवार को छूता हुआ नहीं होना चाहिए। इसे उत्तर-दक्षिण अक्ष में संरेखित किया जाना चाहिए। कमोड को पश्चिम, दक्षिण या उत्तर-पश्चिम दिशा में रखना उचित रहता है।

Washroom Direction | शौचालय की दिशा

वास्तु अनुसार आपको अपने घर के उत्तर-पूर्व या केंद्र या दक्षिण-पश्चिम कोने में शौचालय स्थापित करने से जहाँ तक हो सके बचना चाहिए । 

वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में उत्तर-पूर्व एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिशा होती है ,जो पूजा कक्षा के लिए उपयुक्त रहती है ।

कभी भी शौचालय को रसोई के पास या ऊपर नहीं बनाना चाहिए। इससे उत्पन्न होने वाली नकारात्मक ऊर्जा रसोई में बनने वाले भोजन को अशुद्ध कर देती है। यही बात घर में दरिद्रता तथा बीमारी लेकर आती है। 

North Direction | उत्तर दिशा शौचालय

वास्तु अनुसार  घर के उत्तर दिशा में कभी भी शौचालय का निर्माण नहीं करना चाहिए। धन के देवता कुबेर की दिशा उत्तर होने के कारण वास्तु शास्त्रमें इसका निषेध है। 

उत्तर दिशा में शौचालय का निर्माण करने से आपको धन हानि तथा आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है। इसका असर घर में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।

Tap and Water Tank position | नल और पानी टैंक की स्थिति

कभी भी शौचालय में दक्षिण-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व में नल न लगाएं। साथ ही इस दिशा में पानी भी जमा न करें। नल लगाने और पानी का टैंक लगाने  के लिए पूर्व, उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशा उपयुक्त रहती हैं।

Septic tank position | सेप्टिक टैंक की स्थिति

वास्तु सिद्धांत के हिसाब से शौचालय के दक्षिण दिशा में सेप्टिक टैंक नहीं होना चाहिए। इसका सबसे अच्छा स्थान घर के पश्चिम दिशा या घर के उत्तर-पश्चिम की ओर होता है।

सेप्टिक टैंक घर की मुख्य इमारत के फर्श के स्तर से ऊंचा होना चाहिए। ऐसा करने से आप उससे उत्सर्जित होने वाली नकारात्मक ऊर्जा के प्रसार को कम कर पाते है। 

Attached washroom vastu | अटैच्ड शौचालय निर्माण

अटैच्ड शौचालय कभी भी घर में दक्षिण-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम की ओर नहीं होना चाहिए। यदि बहुत आवश्यक हो, तो इसका निर्माण घर की दक्षिण दिशा में किया जा सकता है।

Negative energy in washroom | नकारात्मक ऊर्जा को दूर करना

वास्तु के अनुसार कांच और नमक दोनों ही राहु के कारक हैं। इसलिए वास्तु नियमानुसार आपको स्नानघर तथा शौचालय में नमक रखना चाहिए, जिससे वहां की नकारात्मक ऊर्जा को कम किया जा सके। 

आप शौचालय में वास्तु दोष दूर करने के लिए काँच के कटोरे में लेमनग्रास तेल की कुछ बूंदों को मिलाकर बाथरूम में रखें। ये आपके बाथरूम को ताज़ा भी करेगा,, साथ ही वास्तु दोष कम करने के लिए अच्छा रहता हैं। 

सुगन्धित तेल व  जड़ी-बूटियाँ , जैसे कि लैवेंडर,रोज़मेरी आदि को बाथरूम में एक आरामदायक खुशबू भी देती हैं, तथा वास्तु के अनुसार भी अच्छा होता है। 

बाथरूम में रखी चीजें आपके स्वास्थ्य और घर की समृद्धि  को भी प्रभावित करती हैं। नकारात्मक ऊर्जा को दूर रखने के लिए नियमित रूप से बाथरूम में रखी चीजों जैसे सौंदर्य प्रसाधन, प्रसाधन सामग्री आदि ध्यान रखें। 

खाली बोतलों, एक्सपायर हो चुकी सौन्दर्य प्रसाधन को भी हटाते रहना वास्तु दोष को कम करता है। साथ ही स्नानघर तथा शौचालय की स्वच्छता को भी बनाये रखता है। 

टूटे हुए साबुन के डिस्पेंसर, टॉयलेट रोल होल्डर आदि को समय-समय पर बदलते रहें। तौलिये को नियमित रूप से साफ करें और जो तौलिये खराब हो गए हैं, उन्हें बदल दें।

बाथरूम के दरवाजे के बाहर शीशा लगाना वास्तु दोषों से छुटकारा पाने का एक शानदार तरीका है। हालांकि, विशेष रूप से ध्यान रखें, कि यह बेडरूम या घर के प्रवेश द्वार को ना दर्शाता हो ।

बाथरूम की फिटिंग को सिंपल सामग्री का रखें। चांदी, स्टेनलेस स्टील और सिरेमिक इसके लिए सबसे ठीक रहते हैं। सोने की आभा वाली बाथरूम फिटिंग्स को न चुने। वास्तु अनुसार यह ठीक नहीं होता है। 

आदर्श रूप से, शौचालय के शौचालय की टंकी और स्नान क्षेत्र को विभाजित करने वाला एक दरवाजा अवश्य होना चाहिए।

जहां तक संभव हो तो कमोड का ढक्कन हमेशा नीचे रखें और दरवाजा बंद रखें। स्नान और शौचालय क्षेत्र को अलग करने के लिए पर्दे का उपयोग करें।

बाथरूम के दरवाजे पर सजावटी मूर्तियाँ या धार्मिक मूर्तियाँ कभी न रखें। ऐसा करना वास्तु दोष को बढ़ाता है। ऊर्जा के सामंजस्यपूर्ण प्रवाह के लिए, सुनिश्चित करें कि बाथरूम साफ, अव्यवस्था मुक्त रहे।

इसमें दाग, नमी या फंगस नहीं लगे होना चाहिए। हम पर संगीत का खासकर नहाते समय सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह आपको रिलैक्स करने में मदद करता है।

इसलिए, आप बाथरूम के दक्षिण-पूर्व कोने में एक संगीत प्रणाली स्थापित कर सकते हैं, क्योंकि यह क्षेत्र इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम्स के लिए होता है।

Leakage | पानी का रिसाव

वास्तु के अनुसार बाथरूम तथा शौचालय में नल, जेट या शॉवर बंद करने के बाद भी अगर पानी टपकता है, तो इसे अशुभ माना जाता है। 

क्योंकि इससे नकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है। पानी की बर्बादी को अच्छा नहीं माना जाता है। टपकते नलों को तुरंत ठीक कराया जाना चाहिए। इससे अनावश्यक खर्च और धन की हानि हो सकती है।

Plants | पौधे

बाथरूम में हरियाली नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित कर सकती है। इसके अलावा, हरे-भरे पौधे किसी के मूड को भी ठीक कर सकता हैं। 

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यदि बाथरूम में कुछ अतिरिक्त जगह है, तो सजावट में हरे रंग की वाइब्स जोड़ें। मनी प्लांट बाथरूम के लिए सबसे अच्छा विकल्प है, क्योंकि यह बाथरूम की गर्म और आर्द्र स्थिति का सामना कर सकता है।

Washroom Lights | बाथरूम की लाइट

वास्तु के अनुसार, बाथरूम में रोशनी से एक शांत माहौल बनाना चाहिए। यहाँ  अंधेरा और धुंधलापन नहीं होना चाहिए। यहाँ हमेशा पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए।

यदि बाथरूम में खिड़कियां नहीं हैं, तो प्राकृतिक धूप का अनुसरण करने और स्वस्थ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए ओवरहेड लाइटिंग फिक्स्चर में बल्ब का उपयोग करें।

एक छोटे से बाथरूम में, सामान्य प्रकाश व्यवस्था आवश्यक है। ऐसी स्थिति में एक सेंट्रल सीलिंग लाइट पर्याप्त होनी चाहिए।

Washroom Decoration | बाथरूम की सजावट

बाथरूम में पारिवारिक तस्वीरें, बुद्ध की मूर्ति, कछुए या हाथी लगाने से बचना चाहिए। फूलों, पेड़ों, घास के मैदानों आदि की तस्वीरें आप लटका सकते हैं।

झरने, नदियों या मछलियों की तस्वीरें प्रदर्शित न करें। शौचालय की दीवार पर समृद्धि पेंटिंग न टांगें। बाथरूम में बहुत अधिक मोमबत्तियां रखने से बचें, क्योंकि यह एक अग्नि तत्व है, और पानी विपरीत तत्व है।

बाथरूम में लाल और नारंगी रंग का सजावटी सामान न रखें। बाथरूम में सजावटी रोशनी का उपयोग करते समय, सुनिश्चित करें कि दर्पण के चारों ओर प्रकाश ऐसा हो कि दर्पण पर कोई चकाचौंध उत्पन्न न हो।

वास्तु के अनुसार, प्रकृति का स्पर्श जोड़ने के लिए हरे रंग की सजावट का विकल्प चुनें। उदाहरण के लिए हरे रंग के नैपकिन, तौलिये, चटाई, पर्दे आदि।

विभिन्न रंगो से हमारे जीवन और स्वास्थ पर में पड़ने वाले प्रभाव और उपाय को जानने के लिये सात रंग रहस्य (Colour) पर जाये।

पूजा घर वास्तु इस दिशा को तरह यंत्रो का भी महत्त्व है। यंत्र कैसे समस्या समाधान कर हमारे जीवन को अधिक सुन्दर बना सकते है, जानने के लिये यंत्रो का जादू (Yantra) भी पढ़े।

यदि हम उपरोक्त वास्तु नियमों का ध्यान रखते है, घर में पूजा कक्ष बनाते समय तो हमारी पूजा का सर्वाधिक प्रतिफल प्राप्त कर सकते हैं। 

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