घर का मुख्य प्रवेश द्वार ही आपके घर की पहचान बनता है। आपके घर के मुख्य द्वार को देखकर कोई भी आपके व्यक्तित्व और पसंद को पहचान सकता है।

इसलिए सौंदर्य की दृष्टि से आकर्षक होने के अलावा, घर में सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने के लिए घर का मुख्य द्वार वास्तु (Main Door Vastu ) के अनुसार सही दिशा में होना चाहिए।

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का मुख्य द्वार न केवल परिवार के लिए बल्कि ऊर्जा के लिए भी प्रवेश बिंदु है। मुख्य द्वार एक माध्यम है, जिससे हम बाहरी दुनिया से घर में प्रवेश करते हैं।

आपके घर में यह एक ऐसी जगह होती है, जहां से घर में सुख, शांति और सौभाग्य का प्रवेश होता है।

इसलिए वास्तु शास्त्र में मुख्य प्रवेश द्वार को प्रमुख महत्व दिया जाता है, क्योंकि यह ब्रह्मांडीय ऊर्जा प्रवाह को अंदर या बाहर रखता है, जो स्वास्थ्य, धन और सद्भाव को बढ़ावा देता है।

इसके अलावा मुख्य द्वार भी घर की पहली छाप बनाता है। घर में प्रवेश द्वार को लेकर वास्तु शास्त्र में कुछ विशेष नियम और सिद्धांत बताए गए हैं।

यदि आप इन सिद्धांतों के अनुसार आप अपने घर के मुख्य दरवाज़े को बनाते हो तो सुख समृद्धि, शांति और उत्तम स्वास्थ्य को आपके घर में आने से कोई नहीं रोक सकता।

Direction for main door vastu | मुख्य प्रवेश द्वार दिशा चयन

वास्तु के अनुसार किसी भी घर का मुख्य प्रवेश द्वार हमेशा उत्तर, उत्तर-पूर्व, पूर्व या पश्चिम दिशा में होना चाहिए, क्योंकि ये दिशाएं वास्तु के अनुसार प्रवेश द्वार या मुख्य द्वार के लिए शुभ मानी जाती हैं।

जहाँ तक हो सके किसी को भी अपने घर का मुख्य द्वार दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम, उत्तर-पश्चिम (उत्तर की ओर), या दक्षिण-पूर्व (पूर्व की ओर) दिशाओं में बनाने से बचना चाहिए ।

इन दिशाओं को वास्तु के हिसाब से मुख्य द्वार के लिए शुभ नहीं माना जाता है, क्योंकि इन दिशाओं में मुख्य द्वार होने पर नकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है, और आपको अपने घर में शुभ प्रतिफल नहीं मिल पाते हैं।

यदि किसी कारणवश आपके घर का मुख्य द्वार दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में होता है, तो सीसा धातु का पिरामिड और सीसे का कुण्डलिनी यंत्र का उपयोग करके वास्तु दोष को ठीक किया जा सकता है।

उत्तर-पश्चिम दिशा में यदि द्वार बनाना पड़े, तो उसको पीतल के पिरामिड और पीतल के कुण्डलिनी यंत्र द्वारा उसका वास्तु दोष ठीक किया जा सकता है।

जबकि दक्षिण-पूर्व दिशा में एक दरवाजे को तांबे के हेलिक्स का उपयोग करके ठीक किया जा सकता है।

वास्तु के अनुसार आपके घर का मुख्य द्वार घर के किसी भी अन्य दरवाजे से बड़ा होना चाहिए, और घड़ी की दिशा में खुलना आवश्यक होता है।

वास्तु के अनुसार कभी भी किसी घर के मुख्य द्वार के समानांतर एक पंक्ति में तीन दरवाजे लगाने से बचना चाहिए। क्योंकि यह एक गंभीर वास्तु दोष माना जाता है, और घर की खुशियों को प्रभावित कर सकता है।

Main door | वास्तु के अनुसार मुख्य द्वार

वास्तु अनुसार किसी भी घर में मुख्य द्वार के लिए लकड़ी का दरवाजा सबसे शुभ होता है। हालांकि यदि आपका मुख्य दरवाजा दक्षिण दिशा में है, तो दरवाजे में लकड़ी और धातु का संयोजन वास्तु के अनुसार बेहतर होता है।

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हमेशा मुख्य द्वार के लिए बेहतर गुणवत्ता वाली लकड़ी का ही प्रयोग करें, और ध्यान दें कि इस दरवाजे की ऊंचाई आपके घर के अन्य दरवाजों से ज्यादा होनी चाहिए। दीमक लगे या टूटे हुए दरवाज़ों को तुरंत बदल देना चाहिए।

इसी तरह अगर दरवाजा पश्चिम दिशा में हो, तो वास्तु अनुसार उस पर धातु का काम होना चाहिए। उत्तर दिशा में मुख्य द्वार पर चांदी का रंग किया होना चाहिए।

यदि आपका मुख्य द्वार पूर्व में है, तो इसे लकड़ी से बना होना चाहिए और सीमित धातु के सामान से सजाया जाना चाहिए।

Visibility | वास्तु के अनुसार मुख्य द्वार की दृश्यता

वास्तु शास्त्र और फेंगशुई दोनों सिद्धांतों का सुझाव है कि किसी भी घर का मुख्य द्वार प्रमुख, दृश्यमान और आसानी से पहचाने जाने योग्य होना चाहिए।

वास्तु के अनुसार इसके लिए आप हमेशा अपने घर का नंबर या अपना नाम की नेम प्लेट मुख्य प्रवेश द्वार को अलग दिखाने और आसानी से पहचाने जाने का एक अच्छा तरीका होता है।

द्वार के अलंकरण के लिए नक्काशी करने के बजाय दरवाजे पर एक साधारण नेम प्लेट लगाना ही बेहतर होता है।

वास्तु अनुसार किसी भी घर का प्रवेश द्वार बनाने से पहले याद रखें कि मुख्य द्वार सात फीट ऊंचा और कम से कम तीन फीट चौड़ा होना चाहिए। वास्तु अनुसार बड़े दरवाजे घर में अधिक सकारात्मक ऊर्जा लाते हैं।

इसलिए किसी को भी अपने घर में छोटे दरवाजों को बनाने से बचना चाहिए। साथ ही घर के अन्य सभी दरवाजों की ऊंचाई मुख्य द्वार से कम होनी चाहिए।

वास्तु के अनुसार पिछले दरवाजे का उपयोग घर के मालिक द्वारा मुख्य प्रवेश द्वार के रूप में नहीं किया जाना चाहिए। इसका उपयोग आपकी घरेलू सहायिका या अन्य कर्मचारी कर सकते हैं।

Main door decoration | वास्तु अनुसार मुख्य द्वार की सजावट

घर के मुख्य द्वार के आसपास की साफ-सफाई घर में सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है। मुख्य द्वार के पास कूड़ेदान, टूटी कुर्सियाँ या मलपात्र न रखें। ऐसा करने से आप नकारात्मक शक्ति या ऊर्जा को बढ़ावा देते हैं।

वास्तु नियम के अनुसार हमेशा मुख्य द्वार के आसपास के क्षेत्र में पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए। मुख्य द्वार के सामने कभी भी दर्पण न लगाएं, जो मुख्य द्वार को दर्शाता हो, क्योंकि इससे आपके घर की ऊर्जा वापस हो जाती है।

मुख्य द्वार में हमेशा एक दहलीज होनी चाहिए, जो संगमरमर या लकड़ी की बनी हो। क्योंकि ऐसा माना जाता है, कि यह नकारात्मक वाइब्स को अवशोषित करता है, और केवल सकारात्मक ऊर्जा को ही भीतर की और गुजरने देता है।

वास्तु के अनुसार मुख्य द्वार पर कुलदेवता की तस्वीर लगाना शुभ होता है। इसके अलावा, पारंपरिक रक्षा छवियों को उकेरा जा सकता है।

इसके अलावा, शंख और पद्म निधि (कुबेर), सिक्के देते हुए, हाथियों के साथ कमल पर विराजमान लक्ष्मी, बछड़े के साथ गाय, तोते, मोर या हंसों की छवियों जैसे पक्षी दरवाजे पर उकेरे होने पर आपके घर में वास्तु दोष दूर होते हैं।

वास्तु अनुसार घर में शुभता और समृद्धि को आकर्षित करने के लिए हमेशा मुख्य द्वार को, स्वस्तिक, क्रॉस आदि दैवीय प्रतीकों से सजाएं और रंगोली को फर्श पर बनाये। क्योंकि ये सब शुभ माने जाते हैं, और सौभाग्य को आमंत्रित करते हैं।

फेंगशुई के अनुसार सौभाग्य के लिए दरवाजे के हैंडल पर लाल रिबन से बंधे 3 पुराने चीनी सिक्कों को अंदर से लटकाएं। यह घर के अंदर धन के आगमन का प्रतीक होता है।

Tips for main door vastu | वास्तु टिप्स

वास्तु के अनुसार घर के प्रवेश द्वार पर हमेशा तेज रोशनी रखें लेकिन लाल रंग की रोशनी से बचें। शाम के समय मुख्य द्वार पर अच्छी रोशनी होनी चाहिए। इससे आप सकारात्मक शक्तियों को आकर्षित करते हो।

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For money, prosperity | धन, समृद्धि के लिए

घर की सुख समृद्धि के लिए मुख्य द्वार के पास पानी और फूलों की पंखुड़ियों से भरा कांच का बर्तन रखें। चूंकि पानी नकारात्मक ऊर्जा का कुचालक है।

यह आपके घर और परिवार के सदस्यों को स्वस्थ रखने में आपकी मदद करेगा। आप अपने घर के प्रवेश द्वार पर लक्ष्मी पद के स्टिकर भी लगा सकते हैं।

Cleanliness | सफाई

यदि आपके मुख्य द्वार के सामने या आसपास जगह हो तो प्रवेश द्वार को हरे पौधों से सजाएं। तोरण मुख्य द्वार की साज-सज्जा के रूप सकारात्मक शक्तियों के आकर्षित करने के लिए एक अच्छा उपाय है।

मुख्य द्वार के पास पशु मूर्तियों, बिना फूलों के पेड़ और अन्य आकृतियों या यहां तक ​​कि फव्वारे और जल-तत्वों से सम्बन्धी चीज़ों को लगाने से बचना चाहिए।

वास्तु अनुसार आपके घर में सकारात्मक वाइब्स को आमंत्रित करने के लिए आप सजावटी हैंगिंग बेल्स को भी लगा सकते हैं।

प्रवेश द्वार पर रंगोली न केवल देवी लक्ष्मी और घर पर मेहमानों का स्वागत करती है, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा को भी बढ़ावा देती है, खुशियां बिखेरती है, और बुराई को दूर करती है।

रंगोली को रंगीन पाउडर, हल्दी पाउडर, चूना पत्थर पाउडर, गेरू (भूरी मिट्टी पाउडर) फूलों की पंखुड़ियों, या चावल के आटे का उपयोग करके डिजाइन किया जा सकता है।

Main door position | मुख्य द्वार की सही स्थिति

वास्तु सिद्धांतों के अनुसार हमेशा प्रवेश द्वार और मुख्य द्वार एक ही तरफ रखें। मुख्य द्वार बिना किसी बाधा के 90 डिग्री पर खुलना चाहिए। सुनिश्चित करें कि यह दक्षिणावर्त दिशा में खुलता है।

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सुनिश्चित करें कि दरवाज़े का कब्ज़ा नियमित रूप से तेल से भीगा हुआ हो और दरवाजे के हैंडल पॉलिश किए हुए हों।

प्रवेश द्वार पर कोई टूटी हुई या चिपकी हुई लकड़ी, या लापता पेंच नहीं होना चाहिए, वरना आप नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा दोगे।

अपने घर के मुख्य द्वार के सामने सीढ़ियों की संख्या का ध्यान रखें, यदि आपके प्रवेश द्वार पर सीढ़ियां हैं, तो माना जाता है कि विषम संख्या में सीढ़ियां सौभाग्य लाती हैं।

Name Plate | नेम प्लेट

घर के मुख्य द्वार पर हमेशा अपने नाम की नेम प्लेट अवश्य लगाएं। यदि दरवाजा उत्तर या पश्चिम दिशा में हो, तो धातु की नेम प्लेट लगाने की सलाह दी जाती है।

यदि दरवाजा दक्षिण या पूर्व दिशा में हो तो लकड़ी की नेम प्लेट का प्रयोग करें। इसे मुख्य द्वार के बाईं ओर रखें, क्योंकि इसे अन्य पक्षों की तुलना में अधिक शुभ बताया जाता है।

Door Bell | मुख्य द्वार के लिए घंटी

वास्तु अनुसार मुख्य दरवाजे की घंटी को पांच फीट या उससे अधिक की ऊंचाई पर लगाएं। झंझनाहट, पीतल या तेज आवाज वाली डोरबेल से बचना चाहिए।

घर की सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने के लिए, सुखदायक और नरम ध्वनि वाली डोरबेल का चयन करें।

Main door and toilet position | मुख्य दरवाजे और स्नानघर

वास्तु सिद्धांत के अनुसार बाथरूम को मुख्य दरवाजे के पास नहीं रखना चाहिए। यह हमेशा घर में बीमारी और नकारात्मकता को बढ़ावा देता है।

Color | मुख्य द्वार का रंग

वास्तु अनुसार घर में सुख और सौभाग्य लाने की दिशा के आधार पर मुख्य द्वार के लिए सबसे शुभ रंग इस प्रकार हैं।

पश्चिम दिशा : नीला और सफेद।

दक्षिण और दक्षिण-पूर्व दिशा : चांदी, नारंगी और गुलाबी।

दक्षिण-पश्चिम दिशा : पीला।

उत्तर दिशा : हरा।

उत्तर-पूर्व दिशा : क्रीम और पीला।

उत्तर-पश्चिम दिशा : सफेद और क्रीम।

पूर्व दिशा : सफेद, लकड़ी के रंग या हल्का नीला।

वास्तु अनुसार मुख्य द्वार को कभी भी काले रंग से न रंगें।

Do and Don’t | परहेज करें

  1. कभी भी अपने घर के मुख्य दरवाज़े के सामने जूतों की अलमारी न रखे।
  2. भूखंड के लेआउट या मानचित्र की जाँच करें। तिरछा, या टेढ़ा भूखंड न लें।
  3. सेप्टिक टैंक या गटर न बनायें।
  4. पानी के पाइप या अन्य गंदे पानी के पाइप न लगाएं

इन सब बातों का ध्यान रख कर आप अपने घर में वास्तु अनुसार सुख समृद्धि और शांति, उत्तम स्वास्थ्य को आकर्षित कर सकते हैं।

वास्तु शास्त्र के सारांश वर्णन के लिए वास्तु शास्त्र परिचय ( Vastu ) भी अवश्य देखे।

नवरत्नों और उनसे हमारी जीवन की समस्याओ के समाधान के बारे जानने के लिए नवरत्न (navratna) लिंक पर जाकर लेख अवश्य पढ़े।

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