अजना या तीसरी आंख ( Ajna or Third Eye ) को आज्ञा चक्र, त्रिनेत्र चक्र अथवा ब्रह्म रंध्र से भी जाना जाता है। शरीर में उपस्थित सात चक्रों में से सातवा प्राथमिक चक्र होता है।

मानव शरीर में इसको आज्ञा चक्र भी कहा जाता है, क्योंकि यह धारणा, चेतना और अंतर्ज्ञान का मुख्य केंद्र होता है।

यह चक्र आसन या ध्यान अभ्यास के दौरान एकाग्रता का मुख्य केंद्र बिंदु होता है। मानव मस्तिष्क का वह हिस्सा जिसको योग, ध्यान और आध्यात्मिक अभ्यासों द्धारा और भी अधिक जागृत और सशक्त बनाया जा सकता है। 

ध्यान और योग शास्त्र की मान्यता के अनुसार यह मानव अवचेतन मन का वह भाग होता है। जिसका सीधा संपर्क मानव मस्तिष्क से जुड़ा होता है। 

ऐसा कहा जाता है, कि जब मानव शरीर में उसकी दो आंखे भौतिक दुनिया को देखती है। तब उसकी तीसरी आंख या अवचेतन मन का केंद्र आने वाले भविष्य को देख सकता है। 

सभी योग शास्त्र के अनुसार जब किसी व्यक्ति का तीसरा नेत्र (Third Eye) या अवचेतन मन उसके शरीर में जागृत अवस्था में होता है।

तब वह व्यक्ति अपने अंतर्ज्ञान से जुड़ जाता है, और उसमे अपने अतीत और भविष्य के बीच संवाद करने की क्षमता प्राप्त हो जाती है। 

उसके शरीर का अजना चक्र उसको आध्यात्मिक रूप से अपने अंतर्मन की शक्ति से अतीत और भविष्य से संकेत प्रदान करने की सामर्थ्य देता है। 

Ajna or Third Eye Centre | अजना या तीसरी आंख का केंद्र

यह चक्र मानव शरीर में माथे के केंद्र में दोनों भवों के बीच स्थित होता है। वैसे तो यह चक्र भौतिक शरीर का हिस्सा नहीं होता।

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इसकी सही सही स्थिति दोनों नेत्रों के मध्य गहराई में उपस्थित चावल के दाने के आकर की पीनियल ग्लैंड को मन गया है। लेकिन ये मानव अंतर्मन या प्राणिक प्रणाली का हिस्सा या भाग होता है। जिसे अवचेतन मन भी कहा जाता है। 

मानव शरीर में ललाट के केंद्र बिंदु पर स्थित होने के कारण इसको एक पवित्र स्थान प्राप्त होता है। हिन्दू मान्यता में इसी कारण माथे के इस भाग पर सिंदूर या चंदन का टीका लगाने का प्रचलन है। 

Ajna or Third Eye Characteristics | अजना या तीसरी आंख की विशेषतायें

मान्यता है, कि जब उर्धव गतिशील वीर्य समस्त चक्रो को जाग्रत करता हुआ सहस्त्रार चक्र के बाद ब्रह्म रंध्र तक पहुंच कर जाग्रत करता है।

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उस स्थिति में साधक का ब्रह्म से साक्षात्कार होता है, और सृष्टि के समस्त भेद और रहस्य प्रकट हो जाते है। ऐसा साधक मोक्ष का अधिकारी हो जाता है।

Ajna or Third Eye Color | अजना या आज्ञा चक्र का रंग

अजना चक्र या आज्ञा चक्र सातों चक्रों का अंतिम ऊर्जा केंद्र होता है। मानव शरीर में इस चक्र का संतुलन विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान करता है। इस चक्र का नीला रंग इसकी संकल्पना या अवधारणा को दर्शाता है।

इसका गहरा नीला रंग इसको एक राजसी और गहरी रात के रहस्य की गहराई प्रदान करता है। इसका गहरा नीला रंग अध्यात्म और ईश्वरीय गहराई के दरवाज़े खोलता हुआ प्रतीत होता है। 

नीला रंग बुद्धिमता और आंतरिक ज्ञान का प्रतीक होता है। इसका नीला रंग मानव शरीर की सभी पांचों इंद्रियों को स्पष्टता प्रदान करता है। 

इस चक्र का नीला रंग मानव शरीर में निचले चक्रों से ऊर्जा को उच्च चक्रों के आध्यात्मिक स्पंदनों में परिवर्तन को प्रोत्साहित करता है।

रंगो का मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव के अध्यन और इससे सम्बंधित ग्रहो से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिएसात रंग का रहस्य (Colour) पढ़े।

Shape and size of Ajna or Third Eye | अजना चक्र का आकार एवं रूप

चक्र प्रणाली में इस चक्र को एक पारदर्शी कमल के फूल के रूप में वर्णित किया गया है। जिसमें दो सफेद पंखुड़ियां हैं, जो दो प्रमुख नाड़ियों इड़ा और पिंगला का प्रतिनिधित्व करती हैं। 

यही वो दो प्रमुख नाड़ियाँ होती है, जो सहस्रार चक्र तक पहुँचने से पहले मध्य सुषुम्ना नाडी तक पहुँचती हैं।

इसकी बायीं पंखुड़ी पर श्वेत वर्ण में  “हं” लिखा होता है जो अनंत ” शिव ” का प्रतिनिधित्व करता है। इसकी दूसरी पंखुड़ी पर अक्षर “क्षम” श्वेत वर्ण में लिखा होता है जो “शक्ति ” का प्रतिनिधित्व करता है। 

 पुष्प की गहराई में हाकिनी शक्ति का वास होता है। इसको एक श्वेत चन्द्रमा के रूप में दर्शाया गया है, जिसके छह चेहरे, और छह हाथ है।

एक किताब पकड़े हुए, एक हाथ खोपड़ी, एक हाथ में ढ़ोल, एक हाथ में माला होती है। दो हाथ आशीर्वाद देने, भय को दूर करने की मुद्रा में होते है ।

उसके ऊपर से नीचे की ओर इशारा करने वाले त्रिभुज में एक सफेद लिंगम या शिवलिंग छिपा होता है। कमल के फूल के रूप में इस चक्र का यह त्रिकोण ज्ञान का प्रतिनिधित्व करता है।

इसके कुछ प्रकारों में ईश्वर के अर्धनारीश्वर रूप भी दर्शाया जाता है, जो शिव और शक्ति के मिलन और शक्ति को प्रदर्शित करता है।  

हमारे शरीर की आंतरिक ऊर्जा शक्ति के चक्र के रूप में ये चक्र हमारी आभा की परत से भी जुड़ा है, जिसे आभा विज्ञान में आकाशीय परत के रूप में जाना जाता है।

Ajna or Third Eye Mantra | अजना चक्र का बीज मंत्र

आज्ञा चक्र को सक्रिय करने का दूसरा तरीका है, चक्र के स्थान पर ध्यान केंद्रित करना, और ओम के बीज मंत्र का जाप करना।

इसके लिए कमर को सीधा रखते हुए ध्यान मुद्रा में बैठ जाएँ और मन में चक्र के बीज मंत्र ” ॐ ” का जाप करें पूरे मन और सक्रियता के साथ। 

जब तक आप अपना ध्यान केंद्रित कर पाएं तब तक पूरे मन से मंत्र का जाप करें। एक बार में पांच से पंद्रह मिनट तक जाप करने का अभ्यास करें।

Imbalance and problems in the Body | मानव शरीर में असंतुलन और समस्याएं

मानव मन में भौतिक इच्छाओं के प्रति बढ़ती हुई लालसा हमको हमारे सच्चे आत्म मन से दूर कर देती है। हमारे जीवन में बहुत सारी बाधाएं आती है।

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जैसे अधीरता, अपेक्षाएं, अतीत के बोझ और कई और नकारात्मक विचार हैं, जो हमारी दृष्टि को अवरुद्ध करते हैं।

अध्यात्म से यह दूरी हमारे अंतर्ज्ञान को धुंधला कर देती है, और आज्ञा चक्र को असंतुलित कर देती है। इसकी वजह से जो अन्य पहलू अनिर्णय, भ्रम, ध्यान और उद्देश्य की कमी, या अवसाद जो मानव जीवन में प्रकट होते हैं।

इन समस्याओं की वजह से व्यक्ति के अपने लक्ष्य तक पहुँचने का संघर्ष आत्म-संदेह और संकीर्णता से और भी कठिन हो जाता है।

इस चक्र की अति सक्रियता भी असंतुलन को दर्शाता है, क्योंकि आधुनिक जीवनशैली में भौतिकता सदैव हावी रहती है। 

इसकी अधिकता या असंतुलन की वजह से मतिभ्रम और वास्तविक दुनिया से पूर्ण अलगाव भी हो सकता है।

हालांकि कुछ अनूठी परिस्थितियों में, एक अति सक्रिय अजना चक्र के परिणामस्वरूप अत्यधिक भावनाएं उत्पन्न होती हैं। जिसके फलस्वरूप असामान्य मानसिक गतिविधियों में वृद्धि होती है।

इसकी अधिकता या असंतुलन की वजह से मतिभ्रम और वास्तविक दुनिया से पूर्ण अलगाव भी हो सकता है।

मानव शरीर में अजना चक्र के असंतुलन से मस्तिष्क तंतुओं को प्रभावित करके निम्न समस्याएं उत्पन्न होती है।

1 आँखों की समस्या

2 सिरदर्द

3 माइग्रेन/अर्धशीर्ष

4 मस्तिष्क विकार

5 अनिद्रा

6 अंतःस्रावी असंतुलन

7 पिट्यूटरी और पीनियल ग्रंथि में विकार, हाइपोथैलेमस

Treatment of Ajna or Third Eye | अजना चक्र सम्बंधी उपचार 

मानव शरीर में समस्त चक्रों को संतुलित करने के लिए धैर्य और उच्च स्तर की जागरूकता की आवश्यकता होती है। मानव शरीर में चक्र की संतुलित अवस्था शारीरिक और आध्यात्मिक जीवन में सुधार करती है।

सही अवस्था में जागृत चक्र से किसी भी व्यक्ति के शरीर में अंतर्ज्ञान मजबूत हो जाता है, क्योंकि आंतरिक ज्ञान को सुनना आसान होता है।

मानव जीवन में सही निर्णय लेने के लिए भावनाओं के साथ-साथ तर्क को भी समान महत्व दिया जाता है। इसके लिए व्यक्ति का अंतर्ज्ञान और मानसिक संतुलन सही अवस्था में होना अत्यंत आवश्यक है।  

जिस व्यक्ति के शरीर में यह चक्र अत्यंत सक्रिय अवस्था में हो उसको प्रकृति के साथ अपना अधिक से अधिक समय बिताना लाभकारी होता है। 

यह मन की अत्यधिक ऊर्जा को शांत करता है। पृथ्वी और प्रकृति से जुड़ना मनुष्य में अध्यात्म की मूल प्रवृत्ति को सक्रिय करता है।

एक शांत स्थान में ध्यान का अभ्यास करके एक निष्क्रिय चक्र को सक्रिय अवस्था में लाया जा सकता है, वहीं ध्यान के अभ्यास से अत्यंत सक्रिय इस चक्र को नियंत्रित भी किया जा सकता है। 

ऊर्जा को सही रूप में निर्देशित करने के लिए योग और ध्यान का अभ्यास अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है। 

मानव शरीर पर पड़ने वाले ग्रहो के प्रभाव से उत्पन्न व्याधियों के रत्नो द्वारा उपचार के लिए नवग्रह प्रभाव ( Navagraha ) पढ़े।

Activation and controlling | योग द्वारा सक्रिय और नियंत्रित करना 

इस चक्र की जागृत और सक्रीय अवस्था मनुष्य की आंतरिक जागरूकता को बढ़ा देती है। यह एक भौतिक क्रिया से अधिक आध्यात्मिक क्रिया होती है।

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जो आपको सांसारिक बाधाओं से मुक्त करके परम ब्रह्मांड की शक्तियों पर अधिकार प्रदान करती है। जब व्यक्ति योग अभ्यास करता है।

तब उसका सम्पूर्ण ध्यान अजना चक्र की ऊर्जा को सक्रिय या जाग्रत अवस्था में लाने की ओर लगता है, और उसमे सम्पूर्ण सहजता के गुण का विकास भी होता है। 

Shirshasana | शीर्षासन

शीर्षासन के अभ्यास से इस चक्र को सक्रिय अवस्था में लाया जा सकता है और ये इसके लिए सबसे उपयुक्त उपाय होता है। 

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इस आसन का प्रतिदिन अभ्यास करने से मस्तिष्क की क्रियाशीलता और सिर के सभी संवेदी अंगों में सुधार होता है।

यह आसन सभी शारीरिक प्रणालियों को उत्तेजित और नियंत्रित करता है। यह रजोनिवृत्ति की समस्याओं का में सुधार करने में भी मदद करता है।

Appling breath control | श्वांस से नियंत्रित करना 

सही प्रकार से अपनी सांसो को लेने,और नियंत्रण  की कला द्वारा हम अपने चक्र को सक्रिय और नियंत्रित कर सकते है। 

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इसके लिए जमीन पर कमर को सीधा रखते हुए आरामदायक मुद्रा में बैठे और अपनी दोनों आंखे बंद करके अपनी समस्त ऊर्जा को अपने त्रिनेत्र या अजना चक्र पर केंद्रित करने का प्रयास करें।

अपनी साँसों पर अपना ध्यान लगाते हुए गहरी सांस लें और कल्पना करें कि एक सकारात्मक प्रकाश आपके त्रिनेत्र चक्र में प्रवेश कर रहा है। 

इसी तरह सांस छोड़ते हुए सभी नकारात्मक विचारों को अपने से दूर होने दें और पूरे शरीर को आराम दें। इस प्रक्रिया को एक चक्र में लगभग पांच से दस मिनट तक पूरा करें। 

Conclusion | निष्कर्ष 

किसी भी मनुष्य में जागृत अवस्था में चक्र की शक्तियाँ सर्वोच्च ज्ञान और ज्ञान से ओत-प्रोत होती हैं। अन्य चक्र सम्बंधित क्रमवार विवरण के साथ अध्यन हेतु chakras लिंक पर जाये और अपनी जिज्ञासा को शांत करे।

आज्ञा चक्र शारीरिक और आध्यात्मिक गुणों को संतुलित करता है और शरीर और मन में सामंजस्य लाता है। अपने आज्ञा चक्र से जुड़ने का अभ्यास प्रतिदिन किया जाना चाहिए। 

यदि मानव मस्तिष्क में अजना चक्र जागृत अवस्था में होता है, तो व्यक्ति के जीवन में नए अवसर, शांति और तृप्ति आती है।

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