विश्व की प्रत्येक सभ्यता में रत्नो का विशेष महत्त्व रहा है। सभी में नवरत्न (Navratna) को श्रेष्ठ और चमत्कारिक गुणों से युक्त माना गया है। प्रत्येक रत्न एक गृह विशेष और रंग का प्रतिनिधित्व करता है।
इनका प्रयोग शत्रु पर विजय के लिए तो कही स्वास्थ लाभ के लिये, यशश्वी संतान तो कही ग्रहो की कुदृष्टि से बचाव के लिये होता है।
प्रायः प्रत्येक राजा के मुकुट में एक या एक से अधिक रत्न सुशोभित होते थे। जो राजा को विशेष चमत्कारिक शक्ति प्रदान करते थे।
अपितु आज के आधुनिक समय में भी नवरत्नों को आभूषणों के रूप में सोने, चांदी अथवा अन्य बहुमूल्य धातुओं में जड़वाकर धारण किया जाता है।
नीचे क्रमानुसार सभी नवरत्नों का विस्तृत विवरण दिया जा रहा है। यदि ज्योतिष परामर्श के उपरांत आप रत्न विशेष को धारण करना चाहते है।
उस स्थिति में भी वास्तविक रत्न की पहचान, मूल्य एवं रत्न के गुण दोष जानने में आपको सहायक होगा।
रंगो का मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव के अध्यन और इससे सम्बंधित ग्रहो से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए सात रंग का रहस्य (Colour) पढ़े।
मानव शरीर पर पड़ने वाले ग्रहो के प्रभाव से उत्पन्न व्याधियों के रत्नो द्वारा उपचार के लिए Navagraha पढ़े।
Table of Contents
First Navratna Ruby | प्रथम नवरत्न माणिक्य
माणिक्य रत्न को सोनरत्न और वसुरत्न भी कहते हैं, जो सूर्य का प्रतिनिधित्व करता है। संस्कृत में इसे पद्मराग, शोण तथा लोहित भी कहते हैं।
यह गंगा नदी, विन्ध्याचल, हिमालय, स्थाम, बर्मा, श्रीलंका और पश्चिम में काबुल में भी पाया जाता हैं। इसका रंग रक्त के समान, सुर्ख लाल कमल के समान होता है।
छाया भेद के आधार पर सुर्ख रंग इसकी पहचान बन गयी है। लाल कमल के अतिरिक्त माणिक्य का रंग गुलाबी कमल, रोली, सिन्दूर, लाख, अनार के बीज, टेसू, सिंगरीफ, केले का पुष्प, गुँजा, कल्पवृक्ष के पुष्पों के रंगों के समान भी होता है।
Real Ruby Navratna Identification | असली माणिक्य नवरत्न की पहचान
इस रत्न को गाय के दूध में छोड़ देने से दूध का रंग गुलाबी हो जाता है, और कमल की कली पर रख देने से वह बिल्कुल खिल जाती है।
यही असली माणिक्य होने के लक्षण हैं। सूर्य की रोशनी में माणिक्य को शुद्ध चाँदी के पात्र में तथा मोती में रखने से मणि इन्हें लाल कर देगी।
माणिक्य को हाथ पर रखने से सु्खी छा जाये तथा उसे काँच के किसी बर्तन में रखने से उसमें से चारों तरफ लाल किरणें निकलें तो वह भी शुद्ध माणिक्य है।
Benifits of Ruby | माणिक्य के लाभ
अच्छे रंग, और अच्छे आकार का पानीदार, साफ, चिकना, चमकौला माणिक अँगूठी में जड़वाकर, भुजा में भुजबन्द में जड़वाकर अथवा गले में माला बनवाकर पहनना चाहिये।
इसे धारण करने से वंशवृद्धि, सुख-सम्पत्ति की प्राप्ति और अन्न, धन का संग्रह अधिक होता है। इससे भय बीमारियाँ तथा अनेक दु:ख व कष्ट दूर होते हैं।
विप्र वर्ण और सफेद रंग की झाईताली माणिक्य को ब्राह्मण धारण करें, तो वह वेदपाठी, बुद्धिमान और सुखी होता है। क्षत्रिय वर्ण की मणि ब्राह्मण को बुद्धिमान और वीर बनाती है, तो क्षत्रिय को विजय प्राप्त कराती है।
वैश्य वर्ण का माणिक्य पीले रंग की आभा (चमक) लिये होता है। यदि ब्राह्मण इसे धारण करें तो भी उसे लाभ ही लाभ होता है।
शूद्र वर्ण का माणिक्य शूद्र ही धारण करे तो उसे सुख सम्पत्ति तथा आनन्द की प्राप्ति होती है। यह मणि श्याम रंग की चमक लिये होती है।
Harms of Ruby | माणिक्य के दोष
दोषपूर्ण रत्न धारण करना निषेध है। यह स्वयं के लिये तथा परिवारजनों के लिये कष्टदायक सिद्ध होता है। साथ ही सुख-सम्पत्ति का भी नाश करता है।
माणिक्य में यदि काला, सफेद तथा शहद जैसे छींटे हों तो काले छींटे से दुःख, सफेद से बेइज्जती या बदनामी और शहद के समान छीटे से आयु, धन, सुख-सम्पत्ति सबका विनाश होता है।
यदि माणिक्य में जाले जैसा निशान हो तो कलह की वजह से धन और स्थान नष्ट होता है। चमक से रहित माणिक्य सुन्न कहलाता है। इसे धारण करने से भाई को कष्ट व दुःख होता है।
माणिक्य में गड्ढा हो तो शरीर दुर्बल करता है। माणिक्य यदि धुएँ के रंग जैसी हो तो उसे पहनने से अचानक ही बिजली से आघात लगता है या बिजली गिरती है।
जिस माणिक्य में बहुत दोष और अवगुण हों तो उसे कभी धारण नहीं करना चाहिये क्योंकि वह मृत्युकारक होता है।
दूध के समान माणिक्य को दूधक कहते हैं। इसे पहनने से पशुओ का नाश होता है। पृथ्वी के मटमैले रंग के समान माणिक से पेट के विकार उत्पन्न होते हैं, तथा पुत्र की उत्पत्ति में बाधा होती है।
दो रंग कौ चमक लिये माणिक्य को पहने से धारक के पिता को और स्वयं उसे दु:ख प्राप्त होता है।
माणिक्य में चिटकापन हो और उसके टूटने की सम्भावना हो तो धारण करने वाले को शस्त्र से चोट लगती है, और लड़ाई के मैदान से भागने का कलंक लगता है।
Second Navratna Pearl | द्वितीय नवरत्न मोती
यह चन्द्रमा का प्रतिनिधि इच्छित फलप्रद है। मोती आठ प्रकार के होते हैं, इनमें सात प्रकार के मोती छेदे नहीं जाते हैं।
सिर्फ सीप के मोतियों में छेद किये जाते हैं, और वे भी शुभ होते हैं। इनमें अच्छे गुणों वाला, कोमल जाति, अण्डे जैसे स्वरूप और स्वाति नक्षत्र में उत्पन मोती सोच समझकर और देखकर लेना चाहिये।
इनके नाम शंख मोती, गजमोती, शुक्ति मोती, सर्पमोती, मीन मोती, आकाश मोती, शूकर मोती, आकाश मोती।
जिस प्रकार मानव शरीर पाँच तत्त्वों से निर्मित है, उसी प्रकार मोती नामक नवरत्न की उत्पत्ति भी पाँच तत्त्वों से हुई है।
जल के तत्त्व वाला मोती चमकीला और निर्मल, भूमि तत्त्व वाला मोती भारी होगा। आकाश तत्त्व वाला मोती हल्का
होता है। वायु तत्त्व के मोती लहरदार, गर्जनशील तथा नीले वर्ण के होते हैं।
लंका, भूमध्यसागर तथा सिंहल में श्वेत मोती तथा बसरा, स्याम, दरभंगा में पीले रंग के मोती उत्पन्न होते हैं। पाटल रंग का सिंहल में, सुर्ख मोती दरभंगा में मोती गोल व शुद्ध होते हैं।
इनके अतिरिक्त मोती खुरदरे, लम्बे, बेडौल, दोषयुक्त और कम चमक वाले होते हैं। मोती को पहनने से आनन्द तथा सुख-सम्पत्ति में वृद्धि होती है।
सफेद रंग का मोती ब्राह्मण के लिये बुद्धि में वृद्धि करने बाला, पाटल (लाल) मोती क्षत्रियों के लिये उनका तेज बढ़ाने के लिये, पीले मोती वैश्यों के लिये अन्न-धन में वृद्धिकारक तथा श्याम वर्ण के मोती शूद्रों के लिये लाभदायक सिद्ध होते हैं।
Real Pearl Navratna Identification | असली मोती नवरत्न की पहचान
किसी कपड़े में धान की भूसी लेकर उसमें मोती रखकर मोती को बहुत तीब्रता से मलें। यदि मोती असली होगा, तो वह टूटेगा नहीं व खूब चमकेगा। किन्तु यदि मोती का चूर्ण बन जाये तो नकली मोती होगा।
दूसरी परीक्षा यह है, कि मिट्टी की हाँडी को गाय के मूत्र से भर दें। उसमें रख मोती अगले दिन यदि वह टूटा हुआ मिले तो उसे अशुद्ध मोती समझें तथा ज्यों का त्यों रहे तो उसे सच्चा मोती समझना चाहिये।
सच्चा मोती पहचानने की एक विधि यह भी है, कि गाय के घी में रख देने से घी पिघलकर बिल्कुल पतला हो जाता है। उपरोक्त विधियाँ प्रयोग करके आप शुद्ध व सच्चे मोती की पहचान कर सकते हैं।
Benifits of Pearl | मोती के लाभ
मोतियों के छ: गुण चन्द्र के समान चमक, एक बाल के बराबर छिद्र, गोल, चिकना, कोमल, सरस होते हैं। ये मोती बहुत शुभदायक फल देने वाले होते हैं और ऐसे मोती ही धारण करने चाहिये।
मोतियों के छोटे-बड़े होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। शुद्ध मोती को पहनने से सात जन्मों के पापों का प्रायश्चित होता है।
दूसरों की स्त्रियों के बारे में मन में कोई गलत विचार नहीं आते। यह सुन्दरता में, बल में, बुद्धि में, ज्ञान में, मान में, तेज में वृद्धि करता है तथा शारीरिक कमजोरी को दूर व सब इच्छायें पूर्ण करता है।
Harms of Pearls | मोतियों के दोष
बिना चमक का मोती ‘सुन्न’ दोषी कहलाता है। इसे धारण करने से वैभव नष्ट होकर दरिद्रता आती है। मूँगा के समान लाल रंग का मोती दुःख और रोग में वृद्धि करता है।
मोती में किसी प्रकार का भी धब्बा होने से रोग पैदा करता है। छाला दोषी अर्थात् बीच में पोला पड़ा मोती सुख, सौभाग्य और सम्पत्ति का हरण करता है।
टूटा मोती पहनने से कष्ट और किसी शस्त्र से चोट पहुँचना निश्चित है। जिस मोती में चेचक के समान गड्ढे हों वह कुल हानि और पुत्र नाश करता है।
जिस मोती में लहर के समान रेखा हों तो उससे मन उद्धिग्न होता है।
Third Navratna Coral | तीसरा नवरत्न मूँगा
मूँगा रत्न का स्वामी मंगल ग्रह है। इसे हिन्दी में मूँगा व फारसी में “मिरजान’ कहते हैं। यह भुज, हिमालय, शिखर और मानसरोबर में यह विशेषकर मिलता है।
इसकी जड़ें और शाखाएँ निकलती हैं। जो सिन्दूरी हिंगुल या गेरुवे रंग की होती हैं । इसका अंग छिपा, नरम काष्ठावान् होता है।
ब्राह्मण वर्ग का मूँगा सिन्दूरी, क्षत्रिय वर्ग सिंग्रिफ या हिंगुल के रंग का, वैश्य वर्ण का मूँगा गेरुवा रंग और शूद्र बर्ण का मूँगा श्यामता लिये होता है।
Benifits of Coral | मूँगा के लाभ
मूँगा को घिसकर गर्भिणी स्त्री के पेट पर लेप करने से गर्भपात रुककर पूरे दिन बाद स्वस्थ बालक जन्म लेता है। मूँगा बालक के गले में पहनाने से पेट का दर्द तथा सूखा रोग आदि दूर होते हैं।
अच्छे घाट का चमकदार और चिकना मूँगा पहनने से मन प्रसन्न होता है। मूंगे की माला शुभ दिन में पहनने से मिर्गी तथा हृदय रोग दूर होते हैं।
सोने के साथ मूंगे का दान करने से मंगल ग्रह कष्ट दूर होता है। मूँगा रत्न के गहने भी पहने जाते हैं | मूँगा का वजन पाँच रत्ती का हो तो वह मणि संसार में सुखभोग, सम्पत्ति देने वाली होती है।
इसका मूल्य अन्य रत्नो की अपेक्षा काफी कम है, पर इसके गुण मूल्य की अपेक्षा अधिक हैं।
Harms of Coral | मूँगे के दोष
श्वेत छींट वाला, धुना, दो रंग, गड्ढे बाला, धब्बा और चौरवाला तथा लाख के रंग वाला मूँगा दूषित होता है। अंगभंग, गड्ढेदार, दोरंगा मूँगा, सुख सम्पत्ति को नष्ट करता है।
श्वेत छींट वाला मूँगा सुखरहित होता है तथा काले धब्बे वाला मूँगा मृत्यु समान कष्ट देता है। अत्तः इन दोषों से रहित मूँगा अच्छी तरह परख कर लेना चाहिये।
Fourth Navratna Emerald | चौथा नवरत्न पन्ना
यह हरे रंग की मणि होती है। जिसका स्वामी बुध ग्रह है। इसको हिन्दी में पन्ना, फारसी में जुमुरद कहते हैं।
यह हिमाचल, गिरनार, सिन्धुदेश के पूर्व आबू, पूर्व पश्चिम, तुर्किस्तान, महानदी, सोन नदी, आदि जगहों पर पाया जाता है।
इनमें गुण और गुणरहित दोनों प्रकार के रत्न मिलते हैं| बड़े-बड़े उद्योगपति या राजा महाराजा ही इसको पहन सकते हैं।
कोमल, अंग और नरम संगसिरस के फूल के समान हल्के रंग का पन्ना अति उत्तम होता है। मोर पंख, तोता के समान हरा व धान के खेत या नीम के पत्ती के समान रंग का पन्ना विशेषकर खिल उठता है।
हरे जल के समान वाला पन्ना क्षत्रिय को, शुक पंख वाला पन्ना वैश्य को, सिरसपुष्प के समान रंग वाला ब्राह्मण को तथा मोर पंख के समान पन्ना रत्न शूद्र का धारण करना चाहिये।
Benifits of Emerald | पन्ने के लाभ
अच्छी चमक व चिकना, साफ अच्छे घाट और हरे रंग का पन्ना गुणवान होता है। कन्या राशि के लिये चन्द्र ग्रह व बुध ग्रह आने ‘पर इसे मन्त्रोभूषित कर धारण करना चाहिये।
जो पन्ना सूर्य के प्रकाश में वस्त्र पर रखने से वस्त्र हरे रंग का दिखे वह बुद्धि, शरीरवर्द्धक, एवं बलवान होता है।
इसके धारण करने से जादू, टोना, धन सम्पत्ति, वंश वृद्धि, सर्प भूतादि सब बाधायें दूर होती है, तथा स्वप्न दोष नहीं होते।
Harms of Emerald | पन्ने के दोष
पन्ना धारण करने से पहले परख लेना चाहिये। काँच का पन्ना नेत्रों पर रखने से गर्मी देता है। आँच पर रखने से गल जाता है।
घिसने से आभा दब जाती है। हाथ पर रखने से भारीपन महसूस होता है। टोना पन्ना दूषित होता है। पिता के सुख हरने वाला दो रंगा पन्ना दूषित होता है।
चुरचुरा अंग वाला पन्ना रुक्ष दोषी होता है। सुन्न वाला श्यामलता लिये पन्ना दूषित होता है। मधुक माविन्द दोष वाला पन्ना माता-पिता की मृत्यु का कारण बनता है। स्वर्णकान्ति पन्ना दोषित सुख हरने वाला आदि पन्ने के दोष हैं।
Fifth Navratna Topaz or Yellow Sapphire | पांचवा नवरत्न पुखराज
इसको हिन्दी में पुखराज, फारसी में जर्दयाकूब कहते हैं। इसका स्वामी गुरू ग्रह है। केसर, गोरोचन, हल्दी, नींबू, कमरख, सूर्योदय तथा काली मेरूगिरी के समान इसका रंग होता है ।
यह अधिकतर विन्ध्याचल, हिमालय पर्वत, महानदी, त्रह्मनदी तुर्किस्तान, ईरान, सीलोन तथा उड़ीसा प्रदेशों में पाया जाता है।
सफेद-पीला पुखराज ब्राह्मण को, सुर्ख, पीला पुखराज क्षत्रिय को, काला-पीला शूद्र तथा गहरा पीला पुखराज वैश्य को धारण करना चाहिये।
Benifits of Topaz or Yellow Sapphire | पुखराज के लाभ
चिकना, चमकदार और पानीदार पीले अच्छे रंग और अच्छे घाट का पुखराज लाभकारी होता है। यह बलबुद्धि, यश, वंश, धन सम्पत्ति आदि को वृद्धि करता है तथा भूत प्रेत रोग आदि दूर करता है।
Harms of Topaz or Yellow Sapphire | पुखराज के दोष
दुरंगा, अबरखी, चीर, सुन्न, दूधक श्याम सफेद तथा लाल छोंटे वाला पुखराज दूषित होता है। सुन्न पुखराज बन्धुजनों में बैर कराने वाला तथा दूधक पुखराज शरीर पर चोट लगाने बाला तथा क्लेशवर्द्धक होता है ।
लाल बिन्दु वाला पुखराज धन सम्पत्ति नष्ट करता है। अत: ऐसे दोष वाले पुखराज रत्न नहीं धारण करना चाहिये। गुणयुक्त नवरत्न (Navratna) धारण करना चाहिये।
Sixth Navratna Diamond | छठा सर्वोत्तम नवरत्न हीरा
इसका स्वामी शुक्र ग्रह है। इसे चन्द्रमणि भी कहते हैं। हिन्दी में हीरा, फारसी में आलीमास, महासख्त संग कहते हैं।
पृथ्वी के विभिन्न भागों पर पड़े पाए जाने वाले शिला खंडो से बने हीरे अनेक रंग और आभा लिए हुए है। अनेक देवी देवताओं ने इन्हें अपनी इच्छा के अनुसार लाल, पीले, हरे, नीले, काले, सफेद हीरे उठा लिए।
इसी तरह अन्यान्य सुर, नाग, यक्ष गन्धर्वों ने जैसा अच्छा लगा उठा लिया। देव, दानव, एवं सर्पों ने इस हीरे को उठा कर स्वर्ण शैल पर प्रकाशित किया।
शेष पृथ्वी पर गिरा हीरा आठ दिशाओं की आठ खानों में युग-युग प्रमाण से यह नवरत्न (Navratna) प्रकट हुआ।
सतयुग में यह ‘हेमज’ नाम से मातंग देशों में, ज्रेतायुग में उत्तर दिशा में पिण्डी सोरठ देश में, द्वापर युग में पश्चिम दिशा में वेणु मुररा और कलियुग में दक्षिण दिशा में प्रकट हुआ।
जहाँ पर भाग्यवान लोग हों वहाँ इन रत्नों को खान होती है।
Types of Diamonds | हीरे के भेद
हीरा के अनेक भेद कहे हैं । वे उसकी छाया, रंग और वर्ण भेद से हुये हैं। इनमें दधि, दुग्ध, चाँदी, स्फटिक, जल, विद्युत्प्रभा, चन्द्र बगुला, हंस के पंख समान जो सफेद हीरा हो उसे हीरा पानी कहा जाता है।
जो हीरा कमल पुष्प, कनेर पुष्प, अनार, गुलाबी, लालड़ी छवि का हो वह कमलपति कहलाता है। सिरस, हरा, धानी, जलंशरद आदि रंगो वाला होरा वनस्पति कहलाता है।
नीलकंठ, अलानी, पुष्प के समान बच्र नील कहलाता है। गेंदा, पुखराज, चम्पावत्ती गुलदावदी, बन्सती रंगवाला हीरा होता है। काले रंग का हीरा श्यामबज् आदि हीरे के रंग भेद हैं।
क्षत्रिय के लिये कमलपति गुलाबी हीरा, वैश्य के लिये पीला वनस्पति हीरा, ब्राह्मणों के लिये सफेद हंसपति हीरा और शुद्र के लिये काला तोतिया और नीला हीरा शुभप्रद होता है।
Benifits of Diamonds | हीरे के लाभ
सुन्दर घाट और अच्छे रंग का चिकना, कठोर हीरा लेकर सूर्य के सामने करने से उसमें इन्द्रधनुष के समान छाया पड़ती है।
घी, जल, गरम दूध आदि में सच्चा हीरा डालें तो वह तुरन्त ठण्डा हो जायेगा। ऐसा उत्तम हीरा राजतुल्य माना गया है।
सोने चाँदी के जेवर बनवाकर उसमें हीरा जड़वाकर पहनाना चाहिये। अपने वर्ण का हीरा धारण कर ब्राह्मण सात जन्म तक वेद, पुराण एवं शास्त्र का ज्ञाता होता है।
क्षत्रिय अपने वर्ण का हीरा धारण कर रणविजय, शत्रु विनाशकारी व तेजस्वी होता है। तथा पुत्रधन, सुख-सम्पत्ति, बुद्धि पाकर प्रजा को सुखी रखता है।
अच्छे गुण वाले हीरे धारण करने से भूत-प्रेत और विषधारी जीव से रक्षा करता है।
Harms of Diamonds | हीरे के दोष
दूषित हीरे भयप्रद, सुख सम्पत्ति नाशक होते है। रक्त चिन्ह हीरा हाथी, घोड़े पशु आदि की हानि करता है। लाल धब्बे वाला हीरा धन, वंश, पुत्र आदि का नाश करता है।
रेवड़ी रेखा वाला हीरा मृत्युकारक, तिरछी रेखा वाला स्त्री कष्टकारक, छ: कोण वाला हीरा या तेज-धार अष्टकोण साफ होरे के बीच यदि पैर पड़ जाय तो वह व्यक्ति तत्काल मृत्यु को प्राप्त होता है।
पीले निशानवाला हीरा वंशनाशक, अबरखी आभा बाला हीरा रोगप्रद होता है। ऐसे दूषित हीरे नहीं धारण करना चाहिये।
Seventh Navratna Blue Sapphire | सातवा नवरत्न नीलम
बलि की नेत्र पुतलिकाओं से इन्द्रनील मणि उत्पन्न हुई। जिसके स्वामी शनिदेव हैं। हिन्दी में नीलम, फारसी में नीलाबिल याकूत कहते हैं।
यह नवरत्न हिमालय, सीलोन, विन्ध्यप्रदेश, महानदी, काबुल, मुलत्तान, कलिंग, सिंहलद्वीप, जावा और त्रह्मपुत्र में अधिकतर पाया जाता है।
यह रत्न महादेव के कण्ठ के समान नीला, नीलकण्ठ के पंख, अफीम, नीलकमल, कोकिला की गर्दन, नीलगिरी की नीली छांह, इन्द्रधनुष के बीच के रंग का नीलम होता है।
Benifits of Blue Sapphire | नीलम के लाभ
चिकना, चमकदार, शुद्ध घाट का साफ तथा मोरकंठ और अलजी के समान रंग वाला नीलम अच्छा होता है। असली नीलम दूध में रखने पर दूध नीला हो जाता है।
ब्राह्मण के लिये सफेद नीलम तथा क्षत्रिय के लिये गुलाबी, वैश्य के लिये पीला, शूद्र के लिये श्याम रंग का नीलम लाभप्रद होता है।
शनिवार के दिन मध्याह् में स्नानादि कर नीलम को दूध मिश्रित जल से स्नान कराकर अन्दन, अक्षत, धूपदीप, फूल फल आदि से पूजन कर फिर उसे गले या हाथ में पहनें तथा रात में साफ भूमि पर सोयें तथा स्त्री साथ में न हो।
यदि रात में बुरा स्वप्न दीखे तो नीलम उतारकर रख दें, और यदि अच्छा स्वप्न है, तो पहने रखें। यदि शनि की कुदृष्टि या साढ़ेसाती हो तो नीलम पहनना चाहिये।
इससे दुःख दरिद्रता दूर होते हैं, तथा धन सम्पत्ति आदि की वृद्धि होती है।
Harms of Blue Sapphire | नीलम के दोष
डोरिया, चीर, दुरंगा, दूधक, जालदार, सुन्न, मैला, अबरखी बिन्दुयुक्त नीलम दूषित होता है। दुरंगा नीलम शत्रु भय कराता है। चीरवाला नीलम शस्त्राघात होता है।
दूधक नीलम घर में दरिद्रता और हानि करता है। सफेद डोरिया युक्त नीलम आँखों में चोट तथा शरीर में दुःख देता है। काले बिन्दु वाला नीलम अपना घर देश छुटाता है।
सुन्न नीलम प्रिय बन्धुओं को नष्ट करता है। मेघछांह वाला नीलम मन को मैला करता है। जालयुक्त नीलम शरीर में रोग आदि पैदा करता है, अतः ऐसे दोषयुक्त नीलम नहीं धारण करने चाहिये।
Eighth Navratna Zircon or Hessonite | आठवा नवरत्न गोमेद
बाली के मद से उत्पन्न रत्न गोमेद कहलाता है। गोमेद रत्न का स्वामी राहुग्रह है। हिमालय और विन्ध्याचल के शिखर पर तथा सरस्वती के किनारे सलिना देश, चीन, बर्मा, अरब, महानदी, सिन्धु आदि जगहों पर पैदा होता है।
इसका वर्ण लाल, पीला, श्यामतामिला, गोमूत्र मधु धूलि-धूसर, अंगारा सूर्य उल्लू या बाज के मेत्रों के समान होता है।
Benifits of Zircon or Hessonite | गोमेद के लाभ
सच्चा गोमेद रत्न धारण करने से शत्रु सामने नहीं आता। राहु यदि नीच लग्न में हो तो गोमेद धारण करना चाहिये। साफ, सुन्दर घाट का चमकदार छाया वाला चिकना गोमेद ही लेना चाहिये।
इसके धारण करने से सुख सम्पत्ति की वृद्धि होती है तथा रोग दूर होते हैं। लाल गोमेद क्षत्रिय के लिये, श्यामतायुक्त शूद्र के लिये, पीला गोमेद वैश्य के लिये तथा ब्राह्मण के लिये श्वेत आभा वाला गोमेद शुभ होता है।
Harms of Zircon or Hessonite | गोमेद के दोष
गोमेद में कई दोष होते हैं। सफेद बिन्दु वाला गोमेद रत्न शरीर में भय लाता है। बहुदोषी गोमेद स्त्री के सुख नष्ट करता है।
लाल बिन्दु गोमेद सन्तान को दुःखी करता है। रूखा गोमेद मान प्रतिष्ठा नष्ट करता है। लाल अंग वाला गोमेद शरीर के अंग भंग करता है। इस प्रकार के दूषित गोमेद धारण नहीं करना चाहिये।
Application of Zircon or Hessonite | गोमेद का उपयोग
गोमेद राहु ग्रह को नष्ट करने के लिये धारण किया जाता है, तथा चिकित्सा रूप में गर्मी, वायुगोला, ज्वर, दुर्गन्ध, नकसीर, बवासीर, त्वचा रोग पाण्डु आदि रोगों में प्रयोग किया जाता है।
Ninth Navratna Cat’s Eye | नवा नवरत्न लहसुनिया
लहसुनिया का स्वामी केतु ग्रह होता है। जिसके ऊपर केतु ग्रह का प्रकोप हो उसे लहसुनिया धारण करना चाहिये।
श्रीपुर, महानदी, सौराष्ट्र, त्रिकुट पहाड़, हिमालय, गंगा किनारे सुन्दरवन, अमर कंटक व मंझार देश में लहसुनिया मिलते हैं।
इसका रंग श्वेत, सुनहरा, खंड़िया, हरा, जर्द काला आदि होता है, जो रात्रि में चमकता है।
Benifits of Cat’s Eye | लहसुनिया के लाभ
गुणयुक्त लहसुनिया चिकना, चमकदार अच्छे चाट तथा जनेऊ सूत्र की शुद्ध रेखायुक्त होता है। शुद्ध सूत्र देखकर इसके धारण करने से पुत्र, सम्पत्ति और घर में आनन्द रहता है।
नष्ट हुई लक्ष्मी वापस आती है। दरिद्रता दु:ख आदि दूर होते हैं| इसके धारण करने से शस्त्र, अपमान तथा भयानक पशुओं से रक्षा होती है। धारणकर्ता शूरवीर शत्रु पर विजय पाता है।
ब्राह्मण के लिये श्वेत सूत्र वाला लहसुनिया लाभदायक है। पीले या हरे सूत्र वाला लहसुनिया या वैश्य के लिये, स्वर्ण सूत्रवाला लहसुनिया क्षत्रिय के लिये, कृष्ण सूत्र वाला लहसुनिया शुद्र के लिये लाभदायक होता है।
Harms of Cat’s Eye | लहसुनिया के दोष
दूषित लहसुनिया इस प्रकार हैं। रक्त बिन्दु वाला लहसुनिया पुत्र को दुखी करता है। रक्त दोष वाला गृह क्लेश बढ़ाता है।
मधुवन बिन्दु वाला लहसुनिया स्त्री को दुःख पहुँचाता है। सफेद बिन्दु वाला भाईयों को दु:ख देता है। काले बिन्दु वाला लहसुनिया प्राण हर लेता है।
धब्बा वाला शत्रु भय और लड़ाई में पराजय कराता है। गड्ढादार लहसुनिया उदर रोग पैदा करता है। ऐसा दोषयुक्त लहसुनिया प्राणी को नहीं धारण करना चाहिये।
Application of Cat’s Eye | लहसुनिया का उपयोग
केतु ग्रह की शान्ति के लिये लहसुनिया का उपयोग किया जाता है। लहसुनिया रत्न की अंगूठी बनवाकर पहनें।
इसे पहनने से सुख-सम्पत्ति वंश आदि की वृद्धि है। शत्रु का नाश कर भय को दूर करता है। इस के पहनने से सुख-सम्पत्ति वंश आदि की वृद्धि है। शत्रु का नाश कर भय को दूर करता है।
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नक्षत्रो, लग्न एवं नवरत्न (Navratna) के विषय में अधिक जानने के लिए जन्म माह और जन्म दिनाँक के आधार पर सम्पूर्ण भविष्य जानने के लिए ” जन्म से शिखर तक ” पढ़े।
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