कोई व्यक्ति लम्बे समय तक गैसलाइटिंग का शिकार होता है। तब उसके दुष्प्रभाव (Gaslighting side effects) उसके मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य पर दिखाई देने लगते है। 

अक्सर पीड़ित व्यक्ति अपने व्यक्तित्व को लेकर ही भ्रमित रहने लगता है। उसके लिए मुश्किल हो जाता है ये समझना कि वो जीवन में स्वयं भी कोई निर्णय ले पायेगा या नहीं। 

क्योंकि पीड़ित को गैसलाइट करने वाला सबसे पहले उसके मस्तिष्क पर अपना नियंत्रण पूरी तरह बना लेना चाहता है,तथा आश्चर्यजनक बात यह है,कि पीड़ित को इसके विषय में पता भी नहीं चलता। 

मनोवैज्ञानिक दुर्व्यवहार के अन्य रूपों की तरह, जिम्मेदार व्यक्ति से संबंध तोड़ने के बाद भी गैसलाइटिंग आपको प्रभावित कर सकती है।

Gaslighting side effects

वास्तव में, चिंता एवं अवसाद से लेकर आत्म-संदेह और यहां तक ​​​​कि PTSD की बढ़ती भावनाओं तक गैसलाइटिंग के कुछ दीर्घकालिक प्रभाव भी देखे जा सकते हैं।

यह क्या होता है ? इस शब्द की उत्पत्ति कैसे हुयी ? आदि प्रश्नो के उत्तर जानने के लिये “गैस लाइटिंग क्या है ? ” (What is Gaslighting) अवश्य पढ़े।

यदि आप अपने जीवन में कुछ भी करना या पाना चाहते है उसके लिए आपका मानसिक एवं शारीरिक रूप से स्वस्थ होना जरूरी है। अतः स्वयं की सही देख्भाल के लिए “स्वयं की देखभाल” (self-care) जरूर पढ़े।

Deteriorating mental health | मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव 

यदि लम्बे समय तक कोई दूसरा व्यक्ति आपके मस्तिष्क को अपने अनुसार नियंत्रित करता है,तो आपका अपने मस्तिष्क पर नियंत्रण समाप्त हो जाता है। 

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जिसके फलस्वरूप आप खुद से कोई भी निर्णय लेने में खुद को असमर्थ महसूस करने लगते हैं,जो आपके बिगड़ते मानसिक स्वास्थ्य का पहला लक्षण होता है। 

धीरे-धीरे आप खुदकी वास्तविकता से भी इंकार करने लगते है तथा अपने आप को सब से अलग- थलग कर लेते हैं,जो आपकी मानसिक सेहत का सबसे बड़ा दुश्मन सिद्ध हो सकता है। 

नतीजतन जो लोग गैसलाइटिंग का सामना करते हैं, उनमें चिंता, अवसाद तथा आत्मघाती विचारों का खतरा अधिक होता है। 

युवा वयस्क जो दुर्व्यवहार से पहले इन स्थितियों से पीड़ित थे, वे गैसलाइटिंग के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, जो बदले में उनके मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को बदतर बना देता है।

आप किसी पर भी भरोसा करने में एक हिचक महसूस करने लगते है, जो आपको दोबारा किसी नए रिश्ते में कदम बढ़ाने में अपने आप को असमर्थ समझने लगते है। 

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Anxiety | चिंता 

चिंता मानवीय स्वभाव की एक स्वस्थ भावना होती है, जो हम सभी में देखी जाती है, किन्तु यह भावना जब तीव्र एवं लगातार तथा अनावश्यक होने लगे तो मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है। 

हल्की चिंता अस्पष्ट और परेशान करने वाली हो सकती है, जबकि गंभीर चिंता दैनिक जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है।

चिंता की सामान्य भावना एवं  एक चिंता विकार के बीच अंतर जानने के लिए चिकित्सीय सहायता की आवश्यकता होती है, जिससे व्यक्ति को स्थिति की पहचान करने और उसका इलाज करने में मदद मिल सकती है।

जब कोई व्यक्ति लगातार आपको अपने नियंत्रण में लेने के लिए गैसलाइट करता है, तो आप अनावश्यक चिंता के शिकार हो जाते है, क्योंकि आप अपने रिश्ते को खो न दे यही सोचते रहते हो। 

किसी को भी लगातार यह महसूस कराने के लिए कि आप हमेशा गलत हैं या चीजों को गलत तरीके से समझते हैं, किसी पर भी मानसिक प्रभाव डाल सकता है।

यह आश्चर्य की बात नहीं होगी अगर गैसलाइटिंग का शिकार व्यक्ति चिंता एवं अवसाद जैसे मानसिक समस्याओं का शिकार हो जाये । 

चूंकि यह अक्सर किसी के आत्मसम्मान को प्रभावित करती है, इसलिए चिंता एवं अवसाद जैसी समस्याओं के होने की संभावना सर्वाधिक होती है। 

Anxiety symptoms | चिंता ग्रस्त होने के लक्षण

जब आप गैसलाइटिंग के कारण एंग्जाइटी की समस्या से पीड़ित होने लगते है,तो आपके मानसिक स्वास्थ्य में कुछ बदलाव दिखने लगते  है जैसे –

बेचैनी की भावना

एंग्जाइटी की समस्या होने पर आपको हमेशा बेचैनी महसूस होती है, आप के व्यवहार में बदलाव होने लगते है। 

हद से ज्यादा चिंता करना 

आप हमेशा अनावश्यक बातों को लेकर चिंतित रहने लगते है। 

चिड़चिड़ापन

एंग्जाइटी होने पर आपके स्वभाव में चिड़चिड़ापन आने लगता है, छोटी सी बात से आप चिढ जाते हैं। 

एकाग्रता में कमी

जब आप एंग्जाइटी के शिकार होते हो तो आपको एकाग्रता में कमी की शिकायत भी होने लगती है। 

अनिद्रा

एंग्जाइटी होने पर आप अनिद्रा की समस्या से ग्रसित हो जाते है। 

Being cut off from its surroundings | एकांत में जाना 

गैसलाइटिंग के पीड़ित व्यक्ति ज्यादातर समय अकेले रहना पसंद कर सकते हैं, क्योंकि वे अब अपनी धारणाओं, प्रवृत्ति तथा दूसरों पर भरोसा नहीं कर पाते हैं।

पीड़ित व्यक्ति केवल समाज से ही नहीं,बल्कि अपने सगे-सम्बन्धियों से भी खुद को पूरी तरह अलग कर लेता है। हर किसी को शक की नज़र से देखना उसकी आदत हो जाता है। 

Paralogism | भ्रमित रहना 

पीड़ित व्यक्ति के लिए शायद सबसे खराब एवं  सभी समस्याओं की जड़ – पीड़ित का हर उस बात पर विश्वास करना शुरू कर देना  होता  है जो उसे गैसलाइटर बताता है। 

इसी बात की वजह से आप हमेशा असलियत एवं झूठ के मध्य फंसे रहते हैं, जिससे आप बातों तथा लोगों को लेकर भ्रमित रहते हो। 

भ्रम की यही अवस्था आपको मानसिक विकार के नज़दीक पहुंचा सकता है। आप धीरे-धीरे मानसिक रोगी भी हो सकते है। 

आप सोच में पड़ सकते हैं, कि आपके  दिमाग में जो कुछ भी याद या घटनाओं की जो छवि  है, वह गलत है। इसलिए आप यह मानने में भ्रमित हो जाते हैं कि शायद वे गलत हैं।

ये भ्रम पीड़ित के कम आत्मसम्मान, अवसाद एवं अलगाव में योगदान करते हैं। पीड़ित यह भी मानना ​​​​शुरू कर सकते हैं। 

वह एक अंतर्निहित अनियंत्रित गंभीर मानसिक स्थिति के शिकार हो सकते है, जैसे कि सिज़ोफ्रेनिया या स्मृति विकार कहा जा सकता है। 

Lost self-esteem | खुद पर भरोसा न करना

गैसलाइटिंग से पीड़ित अंततः खुद पर अविश्वास करना शुरू कर सकता है, तथा  उनके व्यवहार में भारी बदलाव आ सकता है। 

एक बाहरी व्यक्ति यह नोटिस कर सकता है कि वे बहुत अधिक माफी मांगते हैं, सामाजिक समारोहों में चुप रहना पसंद करते हैं, या वे दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ पूरी तरह से बाहर निकलने और घूमने से बच सकते हैं।

इन सबका मुख्य कारण होता है कि पीड़ित को अब खुद पर भरोसा नहीं रहा,वह पूरी तरह से गैसलाइटर  पर निर्भर हो चुका होता है,स्वयं से कोई निर्णय या काम नहीं कर सकता है। 

उन्हें लग सकता है कि उनकी राय का कोई मूल्य नहीं है कि वे बहुत संवेदनशील हैं या कि वे पूरी तरह से पागल हैं।

यहां तक ​​​​कि अगर ऐसा कुछ नहीं होता है, तो एक बात निश्चित है, गैसलाइटिंग के शिकार को हमेशा संदेह होता है और उनकी व्यक्तिगत राय को ज़ोर से कहने से पहले दूसरा अनुमान लगा सकता है।

Mental trauma | मनोवैज्ञानिक आघात

पीड़ित की सबसे गंभीर समस्या के रूप में गैसलाइटिंग के फलस्वरूप गंभीर मनोवैज्ञानिक आघात ला सकती है। उनके लिए यह अत्यंत घातक बात हो सकती है। 

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इस तरह के मानसिक शोषण से सफलतापूर्वक उबरने के बाद भी, वे उन लोगों पर कभी भरोसा नहीं कर सकते जो उनके करीब हैं। इनमें अंतरंग साथी, मित्र, सहकर्मी और परिवार के सदस्य शामिल होते हैं। 

इसके अलावा, गैसलाइटिंग का एक और गंभीर परिणाम यह है कि इस तरह के दर्दनाक अनुभव के बाद पीड़ित लंबे समय तक विचलित या भ्रमित महसूस कर सकता है।

उन्हें इस मनोवैज्ञानिक अपराध के शिकार हुए कुछ समय बीत जाने के बाद भी बोलने, अपनी राय को महत्व देने या अपने फैसले पर बने रहने में समस्या हो सकती है।

उपरोक्त  मानसिक समस्याओं से यदि पीड़ित जल्द से जल्द छुटकारा प्राप्त करने के लिए मनोविशेषज्ञ से सलाह नहीं लेता तो समस्या बढ़ सकती है। 

इसलिए समय रहते आपको समस्या को पहचान कर इसके निदान के प्रयास तेज़ कर देना चाहिए, साथ ही उस व्यक्ति से भी जल्दी दूरी बना लेना ही बेहतर रहेगा। 

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